मुद्रा लोन के बढ़ते NPA पर नीति आयोग ने जताई चिंता, क्या अब कर्ज देने में सख्ती करेगी सरकार?
मुद्रा योजना वर्ष 2015 में शुरू की गई थी। इसमें बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज दिया जाता है। यह लोन सिबिल स्कोर और जरूरी दस्तावेज के बिना मिल जाता है इसलिए पता नहीं चल पाता कि कर्ज लेने वाला शख्स उसे वापस लौटा पाएगा या नहीं। यही वजह है कि योजना के तहत एनपीए लगातार बढ़ रहा है। सरकार भी इसे लेकर चिंतित है और सख्त कदम उठा सकती है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन की अधिकतम सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने की घोषणा की है। ताकि अधिक से अधिक छोटे उद्यमी बिना गिरवी वाले इस लोन का फायदा उठा सके। लेकिन दूसरी तरफ नीति आयोग ने मुद्रा लोन के तहत बढ़ रहे नॉन-परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) या फंसे हुए कर्ज पर चिंता जाहिर की है।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एनपीए को बढ़ने से रोकने के लिए ई-केवाईसी, एमएसएमई के उद्यम पोर्टल से उद्यमियों की जानकारी जुटाने के साथ एक ऐसे मैकेनिज्म तैयार करने की जरूरत है, जिससे छोटे उद्यमियों की पृष्ठभूमि का सही पता लग सके। उनके उद्यम प्रदर्शन की निगरानी की जा सके। तभी बैंकों का जोखिम कम हो सकेगा क्योंकि यह लोन बिना किसी गिरवी के दिया जाता है। इस लोन से जुड़े जोखिम में कमी पर ही मुद्रा योजना की सफलता निर्भर करेगी।
बढ़ते एनपीए से बढ़ रही चिंता
वित्त वर्ष | एनपीए |
2016-17 | 8502 करोड़ रुपये |
2017-18 | 9770 करोड़ रुपये |
2018-19 | 17713 करोड़ रुपये |
2019-20 | 26078 करोड़ रुपये |
2020-21 | 34090 करोड़ रुपये |
2021-22 | 40456 करोड़ रुपये |
9 साल पहले शुरू हुई थी योजना
मुद्रा योजना साल 2015 में शुरू की गई थी, ताकि 10 लाख रुपए तक के लोन एमएसएमई बिना किसी गिरवी के ले सके। इस योजना के तहत शिशु (50,000 रुपए तक का लोन), किशोर (50,000 से पांच लाख तक का लोन) तरुण (पांच लाख से दस लाख तक का लोन) तीन श्रेणी में लोन दिए जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 तक 41.16 करोड़ खाते में 22.89 लाख करोड़ रुपए लोन दिए जा चुके हैं।पिछले आठ सालों में सिर्फ वित्त वर्ष 2020-21 को छोड़ सभी वित्त वर्ष में लक्ष्य से अधिक मुद्रा लोन देने का काम किया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में 4.40 लाख करोड़ लोन देने का लक्ष्य रखा गया था जबकि इस अवधि में 4.50 लाख करोड़ के लोन दिए गए।
क्यों चिंतित है नीति आयोग
नीति आयोग की चिंता इस बात की है कि वर्ष 2017 से 2022 तक एनपीए खाते की संख्या में 22.51 प्रतिशत तो एनपीए राशि में 36.61 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो रही है। सबसे अधिक एनपीए सरकारी बैंकों का है। वित्त वर्ष 2016-17 में 2394,509 खाते एनपीए श्रेणी में थे। वित्त वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 17,99,028, वित्त वर्ष 18-19 में 36,96,019, वित्त वर्ष 19-20 में 38,23,311, वित्त वर्ष 20-21 में 54,13,216, तो वित्त वर्ष 2021-22 में 66,08,103 हो गई।
माइक्रो वित्तीय संस्था, निजी बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी, सरकारी बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक मुद्रा लोन देने का काम करते हैं। आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा कि मुद्रा लोन को व्यापक बनाने के लिए इसके प्रमोशन और विज्ञापन की जरूरत है ताकि लोग सीधे तौर पर बैंक से इस लोन के लिए संपर्क साध सके। लोन लेने के इच्छुक लोगों को बेसिक जरूरी दस्तावेज की जानकारी नहीं होती है। मुख्य रूप से सिबिल स्कोर और जरूरी दस्तावेज के अभाव में मुद्रा लोन नामंजूर होते हैं।
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