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Budget 2024: यूनियन बजट में बार-बार आता है Financial Bill का नाम, आखिर क्या है इस टर्म का मतलब

Union Budget 2024-25 1 फरवरी 2024 को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 5वीं बार यूनियन बजट पेश करेगी। यह एक अंतरिम बजट होगा। बजट में कई ऐसे टर्म्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसका मतलब आम जनता को समझ नहीं आता है। बजट में Financial Bill का इस्तेमाल कई बार किया जाता है। आज हम आपको Financial Bill के अर्थ के बारे में विस्तार से बातएंगे।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Mon, 08 Jan 2024 10:05 AM (IST)
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यूनियन बजट में बार-बार आता है Financial Bill का नाम
 बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। 1 फरवरी 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री यूनियन बजट (Union Budget 2024-25) पेश करेगी। यह एक अंतरिम बजट (Interim Budget) होगा। दरअसल देश में जब-जब लोक सभा के चुनाव होने वाले होते हैं तो उस समय शासन में मौजूद केंद्र सरकार अंतरिम बजट पेश करती है।

उम्मीद की जा रही है कि मार्च-अप्रैल में देश में लोकसभा चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर आम जनता को फोकस है।

बजट में कई बार Financial Bill जैसे कई शब्दों का इस्तेमाल होता है। अब इन टर्म्स का आम जनता को मतलब नहीं पता होता जिसकी वजह उन्हें बजट समझने में काफी परेशानी होती है। आज हम आपको फाइनेंशियल बिल के बारे में बताते हैं। आखिर इस बिल में क्या-क्या शामिल है और बजट में यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

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फाइनेंस बिल क्या है?

फाइनेंस बिल (Financial Bill) को हिंदी में वित्त विधेयक कहा जाता है। यह यूनियन बजट के अहम डॉक्यूमेंट में से एक है। दरअसल, यह सरकार का फाइनेंशियल प्लान होता है।

इसमें सरकार टैक्स, रेवेनयू, एक्सपेंडिचर और बॉरोइंग यानी कर्ज आदि की जानकारी देते हैं। इसके अलावा इसमें अगले वित्त वर्ष के अनुमानों के बारे में भी बताया जाता है।

जब भी कोई फाइनेंस बिल जारी किया जाता है तो उसे लागू करने के लिए संसदज से मंजूरी लेनी होती है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2023-24 में पेश न्यू टैक्स रिजीम एक फाइनेंस बिल है। इसे यूनियन बजट में पेश किया गया था।

इसके बाद इस प्रस्ताव पर संसद से मंजूरी लगी गई थी। संसद से मंजूरी लेने के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी लेने के बाद ही इसे पारित किया जाता है।

एनुअल फाइनेंशियल स्टेटस का हिस्सा है फाइनेंस बिल

सरकार अपना एनुअल फाइनेंशियल स्टेटस (Annual Financial Status) भी जारी करते हैं। इसमें फाइनेंस बिल भी शामिल होता है। आपको बता दें कि फाइनेंस बिल कई तरह के होते हैं। इसमें सबसे जरूरी मनी बिल (Money Bill) होता है।

इसके बारे में भारत के संविधान अर्टिकल 110 में दिया गया है। कोई भी बिल तब मनी बिल में शामिल होता है जब उसमें टैक्स से जुड़े बदलाव होते हैं।

कोई भी फाइनेंस बिल को तब मनी बिल माना जाता है जब उसमें लाइसेंस के लिए फीस डिमांड, जुर्माना या फिर कोई पेनल्टी शामिल होती है।

75 दिन में पारित होता है फाइनेंस बिल

आपको बता दें कि फाइनेंस बिल को सिर्फ लोकसभा में पेश किया जाता है उसके बाद राज्य सभा में पेश किया जाता है। राज्य सभा इस बिल में संशोधन की सलाह दे सकती है पर इसे पारित करने से इंकार नहीं कर सकती है।

फाइनेंस बिल बजट पेश होने के 75 दिन के अंदर फाइनेंस बिल को संसद से पारित होना जरूरी है। लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा को 14 दिन के भीतर इस बिल को रिटर्न करना जरूरी होता है। इसके बाद राष्ट्रपति इस बिल को कानून के तौर पर पारित करते हैं।

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