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Union Budget History & Fact: हर बार खास रहा है यूनियन बजट, 1948 से लेकर 2023-24 तक हुए थे ये बड़े बदलाव

Union Budget 2024-25 हर साल फरवरी में आने वाले वित्त वर्ष की प्लानिंग के लिए Union Budget पेश करती है। इसमें Income Tax से लेकर कई और योजन की जानकारी दी जाती है। सरकार द्वारा बजट में किए गए ऐलान का आम जनता पर बहुत असर पड़ता है।इस आर्टिकल में जानते हैं कि वर्ष 1948 से लेकर वर्ष 2023-24 तक के बजट में कौन-से अहम फैसले लिए गए हैं।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Tue, 09 Jan 2024 09:38 AM (IST)
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हर बार खास रहा है यूनियन बजट
 बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 1 फरवरी को सरकार फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए बजट पेश करती है। इस बजट में सरकार आने वाले वित्त वर्ष की प्लानिंग के बारे में ब्यौरा देते हैं। देस में पहला बजट वर्ष 1978 में पेश हुआ था। हर साल बजट में कुछ खास फैसले लिए जाते हैं। आज हम आपको वर्ष 1948 से लेकर वर्ष 2023-24 तक के बजट के बारे में विस्तार से बताएंगे।

इस आर्टिकल के जरिये आप आसानी से जान पाएंगे कि आखिर किस वर्ष में वित्तीय बजट में कौन-से अहम फैसले लिए गए थे।

वर्ष 1948-50

वर्ष 1948 में देश का पहला बजट पेश किया गया था। इस बजट में कुल खर्च 197.39 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। इस पूरी राशि में आधी राशि यानी 92.74 करोड़ रुपये सिर्फ डिफेंस सर्विस को आवंटित किया गया था। वहीं, वर्ष 1949 में सरकार ने टैक्स चोरी को रओकने के लिए कैपिटल गेंस टैक्स को खत्म कर दिया।

वर्ष 1950-55

वर्ष 1950 में योजना आयोग की स्थापना करने का फैसला लिया गया था। इस आयोग की अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा। वहीं, वर्ष 1952 में आर्थिक मदद के लिए फोर्ड फाउंडेशन से मदद लेने का ऐलान किया था। इसी तरह सन् 1953 में करदाता को इनकम टैक्स में छूट देने के लिए लिमिट को 17 फीसदी तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसे 3,600 रुपये से बढ़ाकर 4,200 रुपये कर दिया गया।

वर्ष 1955-60

वर्ष 1955 में सरकार ने फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन बनाने का ऐलान किया था। सरकार ने इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कॉर्प ऑफ इंडिया के गठन का फैसला किया है। वहीं, वर्ष 1956 में सरकार ने दोबारा कैपिटल गेंस टैक्स को लागू करने का ऐलान किया था।

वहीं, वर्ष 1957 में 6 दशक के लिए डायरेक्ट टैक्स के रूप में वेल्थ टैक्स का ऐलान किया। वर्ष 1959 में सरकार ने एनुअल अकाउंटिंग के तरीके के स्ट्रक्चर में बदलाव किया है। आपको बता दें कि इस वर्ष पहली बार बजट में नॉन-प्लान एक्सपेंडिचर को अलग से बांटा गया था।

वर्ष 1960-65

वर्ष 1960 के यूनियन बजट में इंपोर्ट स्कीम का जिक्र किया गया था। इसको लेकर काफी विवाद भी चलता रहा है। इस स्कीम में PL480 समझौते को लेकर अमेरिका से अनाजद इंपोर्ट करना था। वहीं, वर्ष 1962 में देश में ऑयल रिफाइनरी लगाने के लिए सोवियत यूनियन से कर्ज लेने के बारे में ऐलान किया था।

वर्ष 1963 में सरकार ने करदाता के लिए एक नए बजट यानी सुपर-प्रॉफिट टैक्स को लेकर ऐलान किया था। वर्ष 1964 में सरकार ने एक्सपेंडिचर टैक्स को वापस लेने का ऐलान किया था। इसे नए डायरेक्ट टैक्स में शामिल किया गया था। जो टैक्सपेयर्स सालाना 36,000 रुपये से ज्यादा खर्च करते हैं उनकों इस टैक्स का भुगतान करना होता है।

वर्ष 1965-70

वर्ष 1966 में संपत्ति में अंकुश लगाने के लिए एक्पेंटिचर टैक्स को दोबारा वापस ले लिया गया था। वहीं, वर्ष 1967 में पहली बार डिप्टी पीएम मोरारजी देसाई थे। वह वित्त मंत्री भी थे। वर्ष 1969 में सरकार ने टैक्स-सेविंग टूल स्पाउज को हटाने का ऐलान किया था। इसे इस वजह से हटाया गया था कि क्योंकि कई लोग इसका गलत इस्तेमाल कर रहे थे।

वर्ष 1970-75

वर्ष 1970 में पहली बार महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया था। उस समय केंद्रीय वित्त मंत्री इंदिरा गांधी थी। इस वजह से वर्ष 1970-71 का बजट काफी खास माना जाता है। वर्ष 1971 का यूनियन बजट का ट्रैवलर पर काफी असर पड़ा था।

इस बजट में सरकार ने विदेश यात्रा की टिकट पर 20 फीसदी तक का टैक्स लगाने का ऐलान किया था। वहीं, वर्ष 1973 में सरका ने ग्रामीण क्षेत्र के अमीर लोगों पर गैर-कृषि इनकम को टैक्स स्लैब में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था।

वर्ष 1974 के यूनियन बजट में इनकम टैक्स के मैक्सिमम मार्जिन रेट को घटाने का प्रस्ताव पेश किया था।

वर्ष 1975-80

वर्ष 1776 के यूनियन बजट में सरकार ने लोगों की सेविंग को बढ़ाने के लिए इनसेंटिव बोनस स्कीम को शुरू करने का ऐलान किया था। वर्ष 1978 के बजट में पहली बार देश में नोटबंदी का ऐलान किया गया था। उस समय जनता पार्टी ने नोटबंदी का ऐलान किया था।

वर्ष 1980-85

वर्ष 1980 में सरकार ने गैर-जरूरी सामानों और लाइफस्टाइल के खर्चों को कम करने के लिए फूड और ड्रिंक्स पर टैक्स लगाया है। यह एक तरह का नया टैक्स है। वर्ष 1981 में यूनियन बजट में हुए ऐलान का असर मीडिया इंडस्ट्री पर देखने को मिला है। सरकार ने इंपोर्टेड न्यूजप्रिंट पर 15 फीसदी तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है।

वर्ष 1983 के बजट में रिटायरमेंट के करीब वाले सैलरी क्लास को राहत देने का फैसला लिया गया है। सरकार ने अर्न लीव पर टैक्स छूट देने का ऐलान किया है। वर्ष 1984 का बदट प्रणब मुखर्जी ने पेश किया था। इस बजट में उन्होंने राजनीतिक गुरु कौटिल्य के कोट को बजट भाषण में शामिल किया है।

वर्ष 1985-90

वर्ष 1985 में तत्कालीन वित्तमंत्री वीपी सिंह ने बोर्ड फॉर फाइनेंशियल एंड इंडस्ट्रियल रिकंस्ट्रक्शन (BFFAIR) की संस्था बनाने का ऐलान किया है। वर्ष 1987 में वित्त मंत्री राजीव गांधी ने मिनिमम अल्टरनेट टैक्स पेश किया। इसमें कई टैक्स शामिल थे।

वर्ष 1988 में सरकार ने किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra) को शुरू करने का ऐलान किया था।

वर्ष 1990-95

वर्ष 1990 में स्टॉक मार्केट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) शुरू किया था। वहीं, वर्ष 1991 में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इकोनॉमी में रिफॉर्म के बारे में बताया है। इसके लिए उन्होंने उपन्यासकार विक्टर ह्यूगो के कोट का इस्तेमाल किया है।

वर्ष 1992 में भी मनमोहन सिंह ने विलियम वर्ड्सवर्थ के कोट का इस्तेमाल किया है। इस कोट में उन्होंने टैक्स चोरी फर अंकुश लगाने के लिए इस्तेमाल किया है।

वर्ष 1994 में मनमोहन सिंह ने सर्विस टैक्स की शुरुआत की है। इस टैक्स को जीडीपी में 40 फीसदी की हिस्सेदारी दी है।

वर्ष 1995-2000

वर्ष 1995 में मनमोहन सिंह द्वारा आखिरी यूनियन बजट पेश किया गया था। इस बजट में उन्होंने फाइनेंशियल सेक्टर में इंश्योरेंस सेक्टर के लिए इंडिपेंडेंट रेगुलेटरी ऑथोरिटी का ऐलान किया था।

वर्ष 1997 की यूनियन बजट पी चिदंबरम ने पेश किया था। इस बजट में विदेशी निवेशकों पर नजर रखने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) के बारे में ऐलान किया था।

वर्ष 1998 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने यूटीआई मिलेनियम स्कीम और एसबीआई का रिसर्जेंट इंडिया बॉन्ड्स स्कीम के बारे में ऐलान किया था।

वर्ष 2000-05

वर्ष 2000 के बजट में सरकार ने 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर अतिरिक्त 5 फीसदी की सरचार्ज लगाया था। यह कारगिल टैक्स के तौर पर लगा था।

वहीं, वर्ष 2002 में यशवंत सिंह ने अंतिम बजट पेश किया था। इस बजट में सरकार द्वारा कई खास फैसले वापस ले लिए गए थे। वर्ष 2003 के के बजट में टैक्स को आसान बनाने के लिए जसवंत सिंह ने बजट भाषण में आइंस्टीन के कोट को शामिल किया था।

वर्ष 2005-10

यूपीए के पहले कार्यकाल के बजट में चिदंबरम ने रूरल इंडिया की नई डील का जिक्र किया था। वर्ष 2006 के बजट में टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया गया था। इस साल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू किया गया था।

वर्ष 2007 में टैक्स चोरी को रोकने के लिए स्कल्पचर्स और पेंटिंग्स पर कैपिटल गेंस टैक्स लगाया गया था। वित्तीय वर्ष 2009-10 में यूपीए ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया () संस्था बनाने का ऐलान किया था।

वर्ष 2010-15

वर्ष 2010 के बजट में रुपये में एक खास सिंबल को तैयार करने का ऐलान किया गया था। इसका उद्देश्य इंडिया को उस क्लब में शामिल करना था जिसमें अमेरिका, इंगलैंड, जापान और ईयू शामिल हैं। वर्ष 2012 का यूनियन बजट में प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में भगवान इंद्र और मां लक्ष्मी का जिक्र किया था।

वर्ष 2013 में पी चिदंबरम ने अंतिम बजट पेश किया था। इस बजट में सुपर रिच टैक्स के बारे में ऐलान किया था। वर्ष 2014 में अरुण जेटली ने अपना पहला बजट पेश किया था। इस बजट में उन्होंने सबसे लंबा भाषण दिया था। इसके अलावा यह बजट इसलिए भी खास था क्योंकि इसमें 12 स्कीमों का ऐलान किया गया था।

वर्ष 2015-20

वर्ष 2016 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए प्रोजेक्ट इंद्रधनुष प्रोग्राम का ऐलान किया गया था। इस बजट में रेल बजट को यूनियन बजट में शामिल कर दिया गया था। वहीं, नॉन-प्लान एक्सपेंडिचर क्लासिफमिकेशन को हटा दिया गया था। 2017 में पहली बार बजट 1 फरवरी को पेश किया गया था।

वर्ष 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया था। इस बजट में एनजीओ या ट्रस्ट्स के अनऑडिटेड एक्सपेंसेज पर मॉनिटरिंग करने का ऐलान किया था। वर्ष 2019 में फुल बजट यानी यूनियन बजट पेश किया गया था। इस साल इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण ने बजट पेश किया था।

वर्ष 2020-24

वर्ष 2020 के यूनियन बजट में बैंकी की सिक्योरिटी के लिए कदम उठाया गया है। इसमें पैसे डिपॉजिट पर मिल रहे इंश्योरेंस कवरेज को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था। वर्ष 2022 में निर्मला सीतारमण ने बजट में डिजिटल करेंसी, ई-रुपी लॉन्च करने का प्रस्ताव पेश किया था। वहीं, वर्ष 2023 के बजट में एग्री-स्ंटार्टअप्स के लिए एग्रीकल्चर एक्सेलरेटर फंड का ऐलान किया था। इस फंड का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों पर पोकस करने के लिए किया गया था।