Budget 2024: बजट पेश न करने पर क्या होगा देश पर इसका असर, कभी सोचा है आपने?
Union Budget 2024 वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई 2024 (मंगलवार) के लिए आम बजट पेश होगा। आगामी बजट से आम जनता को काफी उम्मीदें है। हर साल सरकार द्वारा आम बजट पेश किया जाता है। बजट में सरकार अपने खर्चों का ब्यौरा देती है। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी वर्ष बजट पेश नहीं होता है तो उसका सरकार पर क्या असर पड़ेगा?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार को आम बजट (Budget 2024) पेश होगा। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है। आगामी बजट पर पूरे देश की नजर बनी हुई हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी साल बजट पेश न किया जाए तो इसका असर क्या होगा। क्या इसका देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। आइए, इस लेख में इसका जवाब जानते हैं।
संविधान में किया गया है बजट के लिए प्रावधान
हर साल वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट या आम बजट पेश किया जाता है। बजट में केंद्र सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा लिखा होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट के लिए प्रावधान किया गया है। संविधान के प्रावधान के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री को हर वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश करना होता है।
बजट पेश करना ही नहीं बल्कि उसे सही समय पर पास करना भी जरूरी है। अगर बजट संसद में पास नहीं होता है तो यह सरकार के लिए संकट भरा हो सकता है। दरअसल, बजट बहुमत के साथ पारित नहीं होता है तो यह समझ लिया जाता है कि मौजूदा पार्टी सरकार चला नहीं पाती है। आसान भाषा में समझें तो सरकार ने लोकसभा में विश्वास मत खो दिया है।
बजट का लोकसभा से पास होना जरूरी है, क्योंकि बजट एक वित्त विधेयक जिसे राज्यसभा की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है।
बजट में दर्शाए जाते हैं कई भाग
जिस प्रकार आम जनता अपने खर्च के लिए बजट बनाती है, उसी तरह सरकार भी अपने खर्चों के लिए बजट पेश करती है। बजट को तीन भागों (कंसोलिडेटेड फंड, आकस्मिक निधि और लोक लेखा) में दर्शाया जाता है। अगर सरकार बजट पेश नहीं करती है तो उसे फंड निकालने की अनुमति नहीं मिलेगी।- कंसोलिडेटेड फंड: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 के अनुसार केंद्र सरकार के पास खर्च के लिए कंसोलिडेटेड फंड होता है। कंसोलिडेटेड फंड में सरकार के सभी राजस्व, सरकार द्वारा लिए गए कर्ज और सरकार की ओर से वसूली गए कर्ज शामिल होते हैं। कंसोलिडेटेड फंड के लिए सरकार को संसद से मंजूरी लेनी होती है। अगर संसद द्वारा कंसोलिडेटेड फंड के लिए मंजूरी नहीं मिलती है तो फिर सरकार कंसोलिडेटेड फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
- आकस्मिक निधि: संविधान के आर्टिकल 267 में आकस्मिक निधि के लिए प्रावधान दिया गया है। देश के राष्ट्रपति के कंट्रोल में आकस्मिक निधि आती है। अगर कोई आपात स्थिति आ जाती है तब संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही सरकार इस फंड का इस्तेमाल हो सकते हैं। आकस्मिक निधि से पैसे निकालने के बाद संचित निधि से राशि भरपाई की जाती है।
- लोक लेखा निधियां: लोक लेखा निधियां का संबंध सरकार से नहीं होता है। लोक लेखा निधियां में भविष्य निधि और लघु बचत आदि फंड में शामिल होता है। वैसे तो लोक लेखा निधि के लिए संसद की मंजूरी नहीं लेनी होती है पर कुछ मामलों में संसद से मंजूरी लेनी पड़ती है।