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Budget 2024: बड़े सुधार होंगे या रोजगार और नीतिगत निरंतरता पर रहेगा जोर, बजट पर क्या है एक्सपर्ट की राय?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार यानी 23 जुलाई को आम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। अटकलें लगाई जा रही हैं कि मनमाफिक चुनावी परिणाम नहीं आने के बाद मोदी सरकार का यह बजट लोकलुभावन वादों से भरा होगा। लेकिन एक्सपर्ट को ऐसा नहीं लगता। उनका मानना है कि सरकार का फोकस राजकोषीय घाटे को कम करने और रोजगार सृजन पर रहेगा।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 21 Jul 2024 08:28 PM (IST)
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस छठे आम बजट में ग्रामीण क्षेत्रों पर खास तवज्जो हो सकता है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार का पहला आम बजट 23 जुलाई, 2024 को पेश होगा। इसके पहले 22 जुलाई को सरकार आर्थिक सर्वेक्षण-2024 को भी सदन पटल पर रखेगी। आम बजट 2024-25 को लेकर अर्थविद मानते हैं कि यह वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के पीएम मोदी के विजन को आगे बढ़ाने वाला होगा, लेकिन इसमें शायद ही बड़े व भारी-भरकम सुधारों की बात हो।

वजह यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का तकरीबन हर तंत्र काफी सुदृढ़ दिखाई देता है और आर्थिक विकास दर की रफ्तार उम्मीद से बेहतर है। आरबीआई ही नहीं बल्कि मूडीज, आईएमएफ, विश्व बैंक जैसी एजेंसियों की रिपोर्ट बताती हैं कि भारतीय इकोनॉमी वर्ष 2024-25 में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने जा रहा है। इसके बावजूद सरकार की घोषणाओं में आम चुनाव 2024 के परिणामों की भी झलक दिखाई देगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस छठे आम बजट में ग्रामीण क्षेत्रों पर खास तवज्जो हो सकता है और रोजगार सृजन को लेकर सरकार अपनी नई सोच दिखा सकती है।

क्या होगी इस बार बजट की थीम?

मॉर्गन स्टेनली इंडिया की चीफ इकोनोमिस्ट उपासना चाचरा की रिपोर्ट कहती है कि इस बार के बजट का मुख्य थीम तीन मुद्दों पूंजीगत खर्चे के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने, सामाजिक क्षेत्र के आवंटन में ज्यादा वृद्धि और विकसित भारत पर आधारित हो सकता है। भौतिक, डिजिटल और सामाजिक ढांचागत सुविधाओं पर सरकार का जोर पहले से ज्यादा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्ष 2040 तक ही कुल जनसंख्या में युवा कामगारों की संख्या सबसे ज्यादा रहेगी, उसके बाद धीरे-धीरे यहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी।

रोजगार बढ़ाने पर रहेगा जोर

इन दिनों देश में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सरकार भी विभिन्न आंकड़ों के सहारे पिछले दस वर्षों में सृजित रोजगार के दावे कर रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2040 तक ही कुल जनसंख्या में युवा कामगारों की संख्या सबसे ज्यादा रहेगी, उसके बाद धीरे-धीरे यहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि आगामी बजट में सरकार का जोर रोजगार सृजन पर रह सकता है।

केयरएज रेटिंग एजेंसी के चीफ रेटिंग ऑफिसर सचिन गुप्ता भी मानते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट, टेक्सटाइल, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन जैसे सेक्टरों को सरकार ज्यादा रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से बढ़ावा दे सकती है। वैश्विक स्तर पर चीन प्लस वन (मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में चीन के साथ किसी और देश में भी प्लांट लगाने की वैश्विक कंपनियों की रणनीति) को भी सरकार बढ़ावा देगी, जो रोजगार पैदा करने में मदद करेगा।

क्या लोकलुभावन होगा बजट?

एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के डिप्टी सीईओ राजीव यादव का कहना है कि सरकार के लिए वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसद पर लाना प्राथमिकता होगा क्योंकि यह वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने की तरफ आगे बढ़ने में मदद करेगा। रोजगार देने वाले टेक्सटाइल, चमड़ा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सकता है।

एंजेल वन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अमर देव सिंह का अनुमान है कि वित्त मंत्री देश के ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग को बढ़ाने के लिए गरीब तबके व ग्रामीण घरों पर ज्यादा ध्यान दे सकती हैं। इस क्रम में वह यह भी मानते हैं कि शहरी आबादी को भी ज्यादा खर्च करने के लिए सरकार प्रोत्साहित कर सकती है और कम आय कर रिटर्न भरने वालों को थोड़ा बहुत कराधान प्रक्रिया में भी राहत मिल सकता है।

आवास योजना पर रहेगी नजर

एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के हेड (रिसर्च) दीपक जसानी भी यहीं मानते हैं कि कुछ छोटे-मोटे सुधारों के अलावा इस बार के बजट में पुरानी नीतियों को ही आगे बढ़ाने का काम होगा। जसानी इन संभावनाओं को भी निर्मूल बताते हैं कि मनमाफिक चुनावी परिणाम नहीं आने के बाद मोदी सरकार का बजट लोकलुभावन वादों से भरा होगा।

उनके मुताबिक, कैबिनेट में ज्यादा सहयोगी दलों को जगह दे कर और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा कर सरकार काफी काम कर लिया है। ऐसे में राजकोषीय संतुलन बनाने का काम तेज भी हो सकता है क्योंकि सरकार के राजस्व की स्थिति बहुत मजबूत दिख रही है। वह मानते हैं कि आम जनता को सहूलियत से आवास दिलाने और उपभोक्ता सामानों की मांग बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री की तरफ से कुछ घोषणाएं हो सकती हैं।

कैसा है इकोनॉमी का सूरते-हाल

  • वर्ष 2023-24 में 8.2 फीसद की आर्थिक विकास दर, लगातार तीसरे साल सात फीसद से ज्यादा।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.9 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा।
  • जुलाई-24 में खुदरा महंगाई दर 5.10 फीसद, पिछले साल बजट के समय 6.52 फीसद।
  • चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा के 5.8 फीसद से 5.1 फीसद पर आने की संभावना।
  • विदेशी मुद्रा भंडार 666 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर।
  • पिछले आम बजट से अभी तक शेयर बाजार में 13.35 फीसद की तेजी।
  • बेरोजगारी की दर अभी 9.2 फीसद, पिछले वर्ष 8 फीसद।
  • वर्ष 2023-24 में 44.42 का विदेशी निवेश आया, 3.5 फीसद की गिरावट।

आधी आबादी का हो पूरा ख्याल

इनर व्हील की एसोसिएशन सचिव (24-25) डॉ.उर्वशी मित्तल कहती है कि जनसंख्या में 50% महिलाएं शामिल हैं। वित्त मंत्री से मेरा अनुरोध है कि इस 50% आबादी का ख्याल रखें, जिससे पूरी आबादी को फायदा हो। कामकाजी महिलाओं के लिए परेशानी मुक्त, सस्ता ऋण प्रदान करें, मातृत्व अवकाश पर ध्यान दें और क्रेच सुविधाएं सुनिश्चित करें। गृहिणियों को प्रशिक्षण को प्राथमिकता देते हुए, ऑनलाइन नौकरियों के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने के अवसर मिलने चाहिए। सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण पर जोर दें और मध्याह्न भोजन, स्कूल के बाद पर्यवेक्षण, स्कूलों और कॉलेजों में 'वसुधैव कुटुंबकम' को बढ़ावा देने वाले 'भारतीय संस्कृति' पर पाठ्यक्रम और ट्रांसजेंडरों को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए बजट बढ़ाएं।

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