Budget 2022: रिटायरमेंट के बाद ये हैं पेंशन आय के तीन विकल्प, इनमें सुधार की जरूरत
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केन्द्रीय बजट पेश करेंगी। मौजूदा समय में भारत में रिटायरमेंट के बाद पेंशन आय के लिए निवेश के तीन व्यापक विकल्प हैं राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)। म्युचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली रिटायरमेंट/पेंशन योजनाएं।
By NiteshEdited By: Updated: Thu, 20 Jan 2022 08:55 AM (IST)
नई दिल्ली, अजीत मेनन। 1 फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केन्द्रीय बजट (Union Budget 2022) पेश करेंगी। मौजूदा समय में भारत में रिटायरमेंट के बाद पेंशन आय के लिए निवेश के तीन व्यापक विकल्प हैं, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)। म्युचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली रिटायरमेंट/पेंशन योजनाएं। बीमा कंपनियों द्वारा पेश की जाने वाली बीमा से जुड़ी पेंशन योजनाएं।
म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट लाभ या पेंशन योजनाएं धारा 80C के तहत कर लाभ के लिए योग्य हैं। हालांकि, प्रत्येक म्युचुअल फंड पेंशन योजना को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा अधिसूचित किए जाने की जरूरत है, ताकि एक लंबी नौकरशाही प्रक्रिया से जुड़े मामले-दर-मामला आधार पर कर लाभ के लिए पात्र हो सकें। जहां तक कर पात्रता की बात है, सभी सेबी रजिस्टर्ड म्युचुअल फंडों को रिटायरमेंट या पेंशन योजना शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए, अर्थात् 'म्यूचुअल फंड लिंक्ड रिटायरमेंट योजना' (एमएफएलआरपी), जो कर लाभ का पात्र होना चाहिए।
वैकल्पिक रूप से यह भी कहना होगा कि सीबीडीटी, सेबी के परामर्श से इस संबंध में उचित दिशानिर्देश या अधिसूचना जारी कर सकता है जैसा कि ईएलएसएस के संबंध में किया गया है, प्रत्येक म्यूचुअल फंड को सीबीडीटी को व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की जरूरत को समाप्त करते हुए रिटायरमेंट श्रेणी के तहत फंड को सूचित करने के लिए धारा 80सीसीडी के तहत कर लाभ के लिए पात्र हो।
इस तरह से म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट लाभ या पेंशन योजनाओं को धारा के तहत लाने के लिए एक बहुत मसला है। पेंशन योजनाओं के लिए कर उपचार की समानता लाने और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए धारा 80सी के बजाय 80सीसीडी हो।
रिटायरमेंट श्रेणी में म्यूचुअल फंड जैसे दीर्घकालिक उत्पाद घरेलू बचत को प्रतिभूति बाजार में लाने और बाजारों में अधिक गहराई लाने में मददगार हो सकते हैं। घरेलू संस्थानों द्वारा लाई गई इस तरह की गहराई से बाजारों में अस्थिरता को संतुलित करने में मदद मिलेगी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) पर निर्भरता कम होगी।
(अजीत मेनन, पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ हैं, ये विचार उनके निजी हैं)