पहली तिमाही में 13.5 फीसद की विकास दर के आंकड़े को अर्थविदों ने सराहा लेकिन किया आगाह, Experts व्यूज
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 13.5 फीसद की विकास दर का देश के अर्थविदों ने स्वागत को किया है लेकिन भविष्य को लेकर आगाह भी किया है। जानें भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय....
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 08:30 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 13.5 फीसद की विकास दर का देश के अर्थविदों ने स्वागत को किया है लेकिन यह भी साफ किया है कि वित्त वर्ष के शेष बचे तीन तिमाहियों में विकास दर की रफ्तार काफी तेजी से नीचे की तरफ आएगी। खास तौर पर जिस तरह से अमेरिका, चीन व दूसरे विकसित देशों की इकोनोमी में मंदी के संकेत मिले हैं उसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा। जानें जीडीपी के ताजा आंकड़ों पर विशेषज्ञों की राय...
आर्थिक शोध एवं रेटिंग एजेंसी इकरा की प्रमुख अर्थविद अदिति नायर ने कहा है कि पहले के अनुमान से विकास दर के नीचे आने का असर आगे भी रहेगा। खास तौर पर जिस तरह से मानसून अस्थिर रहा है उसका भी असर होगा। दूसरी तिमाही में विकास दर घट कर 6.5-7 फीसद तक रह सकता है।एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा का कहना है कि इकोनोमी के सारे क्षेत्र में अभी रिकवरी नही हुई है और साथ ही वैश्विक वजहों से देश के औद्योगिक सेक्टर पर भी असर होने की संभावना है। ऐसे में वार्षिक विकास दर सात फीसद से नीचे आने की संभावना है।
नाइटफ्रैंक इंडिया के डायरेक्टर (रिसर्च) विवेक राठी का कहना है कि वैश्विक हालात को देखते हुए निर्यात कम होगा और इस वजह से पूंजीगत घाटे की स्थिति बिगड़ती दिख रही है। साथ ही कर्ज भी महंगा हो रहा है जिसका असर निवेश पर होगा।वहीं अर्थविदों की इन आशंकाओं के विपरीत देश के उद्योग चैंबरों का कहना है कि पहली तिमाही में 13.5 फीसद की विकास दर देश की मजबूत ढांचे को दिखाती है। ऐसोचैम के अध्यक्ष सुमंत सिन्हा ने इस विकास दर को बहुत ही मजबूत बताते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कुशल वित्त प्रबंधन को दिया है। सीआइआइ के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि सरकार की नीतियों की वजह से तेज विकास दर आगे भी बनी रह सकती है।