सौर ऊर्जा की तुलना पारंपरिक स्रोतों करना कितना सही? वित्तीय पहलुओं की पड़ताल भी जरूरी
सौर ऊर्जा की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से तुलना करते समय कई तरह के वित्तीय विचार सामने आते हैं। यह लेख सौर ऊर्जा की पारंपरिक स्रोतों से तुलना करते समय उनके प्रमुख वित्तीय पहलुओं की पड़ताल करता है। सौर प्रणालियों की प्रारंभिक स्थापना लागत अधिक हो सकती है लेकिन कम परिचालन और रखरखाव लागत ऊर्जा बचत और निवेश पर संभावित रिटर्न सौर ऊर्जा को एक आकर्षक दीर्घकालिक समाधान बना रहा है।
By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Sat, 17 Jun 2023 09:50 PM (IST)
नई दिल्ली, आसिफ खान। जैसे-जैसे दुनिया अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, सौर ऊर्जा एक प्रमुख दावेदार के रूप में उभर कर सामने आई है। सौर ऊर्जा की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से तुलना करते समय, कई तरह के वित्तीय विचार सामने आते हैं। मसलन सौर ऊर्जा के लिए पैनल इंस्टॉल करने में आना वाला खर्च, उनकी देख-रेख का खर्च आदि।
इन कारकों को समझना हर उस व्यक्ति, बिजनेस और नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और निवेशों के बारे में तार्किक निर्णय लेने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह लेख सौर ऊर्जा की पारंपरिक स्रोतों से तुलना करते समय उनके प्रमुख वित्तीय पहलुओं की पड़ताल करता है।
प्रारंभिक स्थापना लागत
पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों में हमें महीने में एक बार भुगतान करना पड़ता है। लेकिन सौर ऊर्जा प्रणालियों में हमें सौर पैनल, इन्वर्टर और संबंधित उपकरणों की खरीद और इंस्टॉलेशन पर पहले निवेश करने की जरूरत होती है। सिस्टम के आकार, जगह और इंस्टालेशन की जटिलता जैसे कारकों के आधार पर प्रारंभिक लागत अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, पैनल की कीमतों में गिरावट और सरकारी प्रोत्साहनों ने पिछले कुछ सालों में इन खर्चों में काफी कमी की है।
संचालन और रखरखाव लागत
भले ही इंस्टालेशन पर हमें थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ता हो लेकिन एक बार स्थापित होने के बाद, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौर ऊर्जा प्रणालियां आम तौर पर कम परिचालन और रखरखाव लागत की मांग करती हैं। सौर पैनलों को आमतौर पर काफी कम रखरखाव की जरूरत होती है, जैसे कभी-कभार सफाई और निरीक्षण। दूसरी ओर, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को अक्सर ईंधन की लागत, नियमित रखरखाव और मरम्मत की जरूरत पड़ती रहती है। नतीजतन, सौर ऊर्जा रखरखाव और ईंधन खरीद पर खर्च को कम करके लंबे समय में होने वाली लागत बचत को कम कर सकता है।ऊर्जा बचत और निवेश पर मिलने वाला रिटर्न
सौर ऊर्जा के प्रमुख वित्तीय लाभों में से एक लंबे समय में बचत की इसकी क्षमता है। सौर पैनल बिजली उत्पन्न करते हैं, ग्रिड पावर पर निर्भरता कम करते हैं। इससे बिजली के बिल में कमी आती है और सबसे बड़ी बात सोलर सिस्टम की उम्र आमतौर पर 25 से 30 साल होती है। ऊर्जा खपत, स्थानीय बिजली दरों और सिस्टम की दक्षता जैसे कारकों के आधार पर, सौर ऊर्जा को अपनाना काफी फायदेमंद सौदा रहता है।
इसके अलावा, सौर ऊर्जा के लिए निवेश पर रिटर्न (आरओआई) अक्सर आकर्षक होता है। जैसे-जैसे बिजली की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, सौर ऊर्जा से होने वाली बचत साफतौर पर हमारे सामने आती जा रही है। कुछ मामलों में, सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति या संस्थान कुछ सालों के भीतर अपना खर्च निकालने लग जाता हैं। इसके चलते दीर्घकालिक लागत बचत होती है और नकदी प्रवाह में वृद्धि होती है।