इंटरनेट पर Finfluencers की सलाह मानना पड़ सकता है भारी, चमक-दमक की आड़ में चलता है ये खेल
कोरोना के बाद Finfluencers की सोशल मीडिया पर बाढ़ आ गई है। इनकी निवेश सलाह को मानना बेहद खतरनाक हो सकता है। ये लोगों को आकर्षित करने के लिए फेक स्क्रीनशॉट की सलाह लेते है जिस कारण बड़ी संख्या में इनके फॉलोवर्स भी बन जाते हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है इसके पूरे खेल के बारे में एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार बताने जा रहे हैं।
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Sun, 09 Jul 2023 06:53 PM (IST)
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। पिछले लेख में मैंने नसीम निकोलस तालेब के उस आइडिया के बारे में लिखा था कि कैसे निवेश की सलाह देने वाले एडवाइजरों को अपनी काबिलियत दुनिया को साबित करनी चाहिए। अपनी किताब 'स्किन इन द गेम' में तालेब ने इन्वेस्टमेंट एडवाइजरों को एक दिलचस्प सलाह दी है, 'मुझे मत बताओ, बस अपना पोर्टफोलियो दिखाओ'। ऐसा वो उन लोगों के लिए कहते हैं जो दूसरों को सलाह देते हैं कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए। ये उन सभी इन्वेस्टमेंट एडवाइजरों के लिए एक अमल करने वाली बात होगी कि वो अपने पोर्टफोलियो का पब्लिक रिकार्ड रखें।
ये लिखते समय मुझे एहसास नहीं था कि इंटरनेट मीडिया के किसी 'फिनफ्लुएंसर' (इंटरनेट मीडिया पर वित्तीय और शेयर ट्रेडिंग पर सलाह देने वाले) वाले कोने में तालेब का सुझाया ये आइडिया कुछ समय से पक रहा है। जो लोग ट्रेडिंग सलाह का दावा करते हैं, वो ऐसे स्क्रीनशाट पोस्ट करते हैं जिसमें दिखे कि ये लोग ट्रेडिंग से कितना पैसा बना रहे हैं। मुश्किल ये है कि नकली स्क्रीनशाट बनाना आसान है। असली-नकली स्क्रीनशाट में फर्क पहचानना भी मुश्किल होता है। समय के साथ काफी लोग समझने लगे हैं कि स्क्रीनशाट किसी व्यक्ति के ट्रेडिंग का धुरंधर होने का सुबूत नहीं है।
स्क्रीनशाट पर ये अविश्वास तब पैदा हुआ जब इनमें से कई गलत साबित हो गए। तमाम फिनफ्लुएंसरों ने दुनिया को जो ट्रैक रिकार्ड दिखाए थे, वो उनके द्वारा दी जाने वाली सलाह से जरा भी मेल नहीं खाते थे। ये मुश्किल अब सुलझा ली गई है, अलबत्ता कुछ अजीबोगरीब तरीके से। कुछ ब्रोकरों और ट्रेडिंग प्लेटफार्म ने एक तरकीब निकाली है कि ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग का प्राफिट और लास (पीएंडएल) एक वेरिफाई किए जाने वाले तरीके से दिखा सकें। इसके लिए ट्रेडर, ट्रेडिंग वेबसाइट का लिंक जेनरेट करते हैं जो लोगों के बीच शेयर किया जाता है। लिंक पर क्लिक करने पर उस ट्रेडर का प्राफिट और लास देखा जा सकता है।
अहम ये है कि लिंक लोगों के साथ साझा करने के पहले वो चुन सकते हैं कि क्या दिखाना है और क्या छुपाना है। इसका नतीजा आसानी से समझा जा सकता है। ब्रोकर द्वारा वेरिफाई किए पीएंडएल पर भरोसे की मुहर लगी होती है। मगर उसे सावधानी से ट्यून किया जा सकता है।ठीक वैसे ही, जैसे भ्रम में डालने वाले स्क्रीनशॉट के साथ होता है। जब कोई फिनफ्लुएंसर स्क्रीनशाट पोस्ट करता है तब आप जानते हैं कि ये पूरा सच नहीं है। हालांकि, जब किसी बड़े ब्रोकर की वेबसाइट पर पीएंडएल दिखाया जाता है, तो इसमें सच का आभास होता है, जो इससे अनजान लोगों को मूर्ख बनाने का असरदार तरीका बना देता है।
असल सवाल है कि ब्रोकर अपनी सर्विस में इस फीचर को क्यों जोड़ रहे हैं। ये किसकी जरूरत को पूरा कर रहा है? कौन इस फीचर की मांग कर रहा है? दरअसल, ये इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करके रेगुलेशन को गच्चा देने और रेगुलेटर के रडार से बचकर काम करने वाले इंटरनेट मीडिया के ट्रेडिंग एडवाइजरों को स्थापित करने का एक तरीका है। अगर सेबी अनरेगुलेटेड ट्रेडिंग एडवाइजरों (या कोच या कुछ भी नाम हो) को हटाने पर सीरियस है तो इन्हें काबू में रखना, ऐसे लोगों को निवेशकों से दूर रखने का अच्छा तरीका हो सकता है।
कुछ लोग वेरिफाइड पीएंडएल का इस्तेमाल करके, बिना कोई सर्विस बेचे दिखा रहे हैं कि वो क्या कर रहे हैं। इसकी मिसाल है ये ट्वीट: 5 साल पहले, मेरी सालाना सैलरी 25 लाख रुपये थी। अब मेरा रोज का स्टाप-लास ट्रेड 25 लाख रुपये का है। ये गजब है कि कैसे ट्रेडिंग आपकी जिंदगी बदल देती है। शायद ये लोग अपनी साख तैयार कर रहे हैं या शायद सिर्फ दिखावा कर रहे हैं जो एक इंसानी स्वभाव है।दोनों ही मामलों में इससे किसी का भला नहीं होता। मैं समझता हूं इस कालम को पढ़ने वाले ज्यादातर लोगों के लिए, किसी अंजान एडवाइजर से इंटरनेट पर ट्रेडिंग के टिप लेना एक अजीब बात होगी। इस लेख में मैंने ट्रेडर शब्द का इस्तेमाल बड़ी सोच समझकर किया है क्योंकि एक निवेशक ये काम नहीं करेगा और ट्रेडर व निवेशक के बीच का फर्क समझने का ये अच्छा तरीका है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ है।)