म्युचुअल फंडों में निवेश करते समय सिर्फ स्टैंडएलोन रिटर्न ही न देखें, रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न है महत्वपूर्ण
Mutual Funds में निवेश करते समय आम तौर पर हम लंबी अवधि के रिटर्न्स की तुलना करते हैं और स्टैंंडएलोन रिटर्न देखते हैं। हालांकि बेहतर यह रहेगा कि हम म्युचुअल फंडों के रिस्क एडजस्टेड रिटर्न्स पर गौर करें।
By Manish MishraEdited By: Updated: Wed, 11 May 2022 11:15 AM (IST)
नई दिल्ली, अजीत मेनन। हम आज म्युचुअल फंडों में निवेश को लेकर बात करेंगे। आइए हम विचार के एक परीक्षण के साथ शुरुआत करते हैं। मान लीजिए कि एक निवेशक लंबी अवधि में पैसा लगाने के लिए दो इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स, जैसे ए और बी के बीच मूल्यांकन कर रहा है, और बैक-टेस्टिंग के लिए पिछले 7 वर्षों में स्कीम के साल दर साल प्रदर्शन को देख रहा है।
नीचे दिए गए टेबल में आप देख सकते हैं:
- पिछले 7 वर्षों में से 4 वर्षों में, स्कीम ए ने स्कीम बी से बेहतर प्रदर्शन किया है।
- बेहतर वर्षों में, स्कीम ए ने वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं एक खास साल में, स्कीम ए ने स्कीम बी से 87% के बड़े अंतर के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
- पिछले 7 वर्षों में बाजार में गिरावट वाले केवल 2 साल रहे हैं।
- कुल मिलाकर, पिछले 7 साल में इक्विटी बाजारों में तेजी का दौर रहा है, हालांकि यहां बीच-बीच में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला है।
यहां दी गई जानकारी को ध्यान में रखते हुए, सवाल यह उठता है कि एक औसत निवेशक किस स्कीम में निवेश करना सबसे अधिक पसंद करेगा? या दूसरे शब्दों में, आपके विचार से 7वें साल के बाद किस स्कीम का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है? खैर, आपके लिए यह जवाब थोड़ा आश्चर्यजनक हो सकता है क्योंकि स्कीम बी ही है जिसने 7 साल के सीएजीआर के आधार पर बेहतर प्रदर्शन कियाा है। लेकिन असली खुलासा तब होता है जब आप रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न देखते हैं। सीएजीआर रिटर्न में अंतर लगभग 4.6% का है, हालांकि, स्कीम बी द्वारा रिस्क की प्रत्येक यूनिट पर प्राप्त किया गया रिटर्न स्कीम ए की तुलना में लगभग 2.7 गुना अधिक है। बेशक, किसी स्कीम को चुनने से पहले कई अन्य कारकों का ध्यान रखना पड़ता है, लेकिन निवेशकों/सलाहकारों द्वारा अच्छे डाउनसाइड प्रोटेक्शन के साथ लंबी-अवधि में स्थिर कंपाउंडिंग के पहलू पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है।
किसी भी स्कीम का मूल्यांकन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू - एक विशेष स्तर के रिटर्न प्राप्त करने में शामिल जोखिम है। हालांकि, अक्सर इस बात पर मुनाफे वाले वक्त में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। ऊपर दिए गए हमारे उदाहरण में, यदि स्कीम ए ने रिटर्न प्राप्त करने के लिए अधिक जोखिम उठाया था, तो परिस्थिति में तेजी से बदलाव आने पर इसके और तेजी से गिरने की संभावना भी काफी अधिक है। इस प्रकार, मेरी राय में, निवेशकों को रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को सबसे शुरुआती बिंदु के रूप में देखना चाहिए, न कि स्टैंडअलोन रिटर्न या रोलिंग रिटर्न के रूप में। यह उन उत्पादों की श्रेणियों के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है जहां एसेट एलोकेशन और इक्विटी, डेट और अन्य एसेट्स क्लास के बीच डायनेमिक रिबैलेंसिंग करने के लिए लचीलापन है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पोर्टफोलियो को जोखिम के विभिन्न आवश्यक स्तरों के लिए तैयार किया जा सकता है।
मेरी राय में, इस बात में सबसे अधिक मानसिक पूर्वाग्रह है जिससे हर किसी को बाहर आना होगा। यहां सोच यह है कि आपके "कंपाउंडिंग एट ट्रेंड" को प्राप्त किया जाए और उसकी रक्षा की जाए। लंबी अवधि में कंपाउंडिंग प्रक्रिया को बाधित न करने की सोच को समझना मुश्किल है, क्योंकि लाभ (लगभग आपकी सोच से कहीं अधिक) का अहसास काफी देर से महसूस किया जाता है। इसे और समझने के लिए लिली पॉण्ड की इस पुरानी पहेली पर गौर कीजिए।
पहेली: लिली एक छोटे से तालाब में स्थित एक लिली पैड है। लिली हर दिन अपना आकार दोगुना करती है। 20वें दिन वह पूरे तालाब को ढक लेती है। तो बताइए लिली किस दिन तालाब के आकार की आधी थी?सही उत्तर देने की जल्दबाजी में बहुत से लोग कह सकते हैं कि वह 10 वां दिन होगा, हालांकि सही उत्तर है - 19 वां दिन। 10वें दिन का उत्तर सही लगता है क्योंकि मानव मस्तिष्क ज्यादातर चीजों को सामान्य ग्रोथ के तहत मापता है और कंपाउंड में होने वाली वृद्धि को समझ ही नहीं पाता है।
जब बात निवेश करने की आती है, तो मेरे विचार में, यह खुद फंड चुनने या फिर इस काम में आपकी मदद करने के लिए एक अनुभवी सलाहकार के बीच अंतर स्पष्ट करता है। अपने पूर्वाग्रहों के कारण, एक प्रत्यक्ष निवेशक के लिए इस बात की पूरी संभावना है कि वह किसी विशेष वर्ष में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंड को चुनेगा, न कि रिस्क-एडजस्टेड विकल्प को, जिसे समझना थोड़ा अधिक जटिल होता है। आपको एक अच्छे सलाहकार को चुनने में अधिक समय व्यतीत करना चाहिए। हो सकता है कि उसके अपने कुछ पूर्वाग्रह हों, लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि रिस्क-एडजस्टेड फंडों को चुनने से लंबी अवधि में निरंतर लाभ प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, एक विश्वसनीय सलाहकार के साथ, आप पैसों को लेकर अपने अधिकांश या सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने की मुश्किलों को हल कर सकते हैं। भले ही ये लक्ष्य आज कितने भी असंभव क्यों न लगते हों। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंड को लेकर मानवीय पूर्वाग्रह के जोखिम को कम कर दिया है, जिसमें उच्च गिरावट भी हो सकती है जो लगातार कंपाउंडिंग के जादू को नष्ट कर सकती है। इस प्रकार आइडिया यह है कि खेल में जितना हो सके 19वें दिन तक बने रहें, जैसा कि ऊपर हमारे लिली पॉन्ड पहेली में बताया गया है, और 20वें दिन तक हम अपना काम करने के लिए कंपाउंडिंग के जादू पर भरोसा कर सकते हैं।
(लेखक पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)