अभी होती रहेगी ब्याज दरों में वृद्धि, एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी से खास बातचीत
एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी ने बैंकिंग सेक्टर के समक्ष नई तकनीक से पैदा होने वाली चुनौतियों ब्याज दरों की स्थिति और आर्थिक विकास के भावी स्वरूप पर दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से विस्तार में बात की।
By JagranEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Tue, 27 Sep 2022 02:01 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बैंकिंग सेक्टर के समक्ष नई तकनीक से पैदा होने वाली चुनौतियों, ब्याज दरों की स्थिति और आर्थिक विकास के भावी स्वरूप पर एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से विस्तार में बात की। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी बैंकों को अधिग्रहित करने का मौका मिले तो एक्सिस बैंक उस पर विचार करेगा।
प्रश्न: चार दिन बाद आरबीआइ मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है, क्या उम्मीदें हैं?
उत्तर: देखिए, वैश्विक स्तर पर महंगाई के कम होने की उम्मीदें गलत साबित हुई हैं। अमेरिका का फेडरल बैंक लगातार ब्याज दरों को बढ़ा रहा है। डालर भी मजबूत होता जा रहा है। यह भारत में महंगाई पर दबाव बनाएगा। तभी आपने देखा होगा कि आरबीआइ ने रुपये को हाल में गिरने दिया है। मुझे उम्मीद है कि इस बार रेपो रेट में 35 से 50 अंकों तक की वृद्धि होगी। हालांकि यह अंतिम नहीं होगी। वैश्विक हालात और महंगाई के समूचे परि²²श्य को देखते हुए अभी 75 से 100 आधार अंकों की वृद्धि और होने की उम्मीद है।
प्रश्न: इस हालात में आपको देश की आर्थिक विकास दर किस तरफ जाती दिख रही है?
उत्तर: आर्थिक दृष्टिकोण के नजरिये से भारत दुनिया के दूसरे देशों से बेहतर स्थिति में है। घरेलू इकोनमी में मांग अच्छी है और उपभोग बढ़ रहा है। केंद्र सरकार और आरबीआइ के अच्छा सामंजस्य है। बाहरी एजेंसियों ने तेज विकास दर की जो उम्मीद लगाई है वह वाजिब हैं। अगर ब्याज दरों में ज्यादा बढ़ोतरी होती है तभी विकास दर पर कुछ असर होगा।प्रश्न: हाल ही में आरबीआइ ने रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की इजाजत दी है, इसका क्या असर होगा?
उत्तर: सरकार और आरबीआइ रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने को बढ़ावा दे रही है और इसके पीछे ठोस वजहें हैं। जैसे-जैसे द्विपक्षीय कारोबार में रुपये या गैर डालर मुद्रा का उपयोग बढ़ेगा वैसे-वैसे भारतीय मुद्रा पर डालर का दबाव कम होगा। यह देश के लिए बेहतर है। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद जिस तरह से कई देशों पर प्रतिबंध लगे हैं, उसको देखते हुए भी कई देश स्थानीय मुद्रा में द्विपक्षीय कारोबार करने को लेकर उत्साहित हैं। हमारे पास भी आयातकों-निर्यातकों की तरफ से पूछताछ बढ़ी है। इसमें समय लगेगा। निश्चित तौर पर रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार बढ़ेगा।