Move to Jagran APP

Investment and Saving: निराशावादी स्मार्ट लगते हैं, लेकिन आशावादी पैसे बनाते हैं

Investment and Saving किसी ने एक बार कहा था कि निराशावादी स्मार्ट लगते हैं और आशावादी पैसे बनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि निराशावादी स्मार्ट क्यों लगते हैं क्योंकि उनकी बातें तथ्यों रुझानों आंकड़ों अनुमानों से लदी-फंदी होती हैं।

By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Sun, 23 Oct 2022 09:30 PM (IST)
Hero Image
Investment and Saving: what is right approach for financial decisions
धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। एक निवेशक और बचतकर्ता के तौर पर आज आप किस बात से सबसे ज्यादा चिंतित होते हैं? क्या आपकी चिंता का कारण ब्याज दरें हैं? किसी बीमारी का एक और वेरिएंट है? यूरोप की लड़ाई? एशिया में युद्ध की संभावना? या फिर जलवायु परिवर्तन है?

आज, दुनिया में 'संकट का संकट' है और इसका प्रभाव लोगों के निर्णय लेने के तरीके पर हो रहा है। जाहिर है, इसका असर उनके जीवन के हर पहलू पर होता होगा, पर मुझे उनके कारोबार और निवेश के फैसलों पर होने वाला असर साफ-साफ दिखाई देता है।

संकट का संकट क्या है

आप सोचेंगे कि ये संकट का संकट क्या है। दरअसल, ये उस संकट की आशंका है, जो दुनियाभर के लोगों पर अपना असर दिखा रही है और लोग इसे किसी असल संकट जैसा पाते हैं। बुनियादी तौर पर 'संकट का संकट' एक लगातार भयभीत रहने की मन:स्थिति है, जिसे चंद लोग दुनिया भर में लगातार उकसाते और भड़काते रहते हैं। आप सब जानते हैं कि ये लोग कौन हैं, पर उनकी बात बाद में।

दुनिया कई दशकों से लगातार संकट में है। एक ऐसा संकट, जो शायद कभी खत्म न हो। पहले ऊर्जा संकट जैसी चीजें हुआ करती थीं। अब, डिजिटल मीडिया और क्लिकबेट इंडस्ट्री बढ़ने के साथ-साथ इस संकट के एहसास को लगातार कायम रखना सातों दिन-चौबीस घंटे का काम हो गया है। प्रसिद्धि और ताकत हासिल करने के लिए लोगों को डराए रखना फायदे का सौदा हो गया है। बदकिस्मती से, यह इस बात को हवा देता है कि निराशावादी, अक्लमंद के बराबर है और आशावादी, अनजान के बराबर।

हेडलाइन बनता निराशावादी संदेश

कोई भी संकट जिसका असर सारी दुनिया पर हो, ऐसा निराशावादी संदेश हेडलाइन बन जाता है। वहीं आशावादी (या जो संतुलित भी है) कहीं जगह नहीं पाता है। इसे एक्शन में देखना है तो आप कोई भी न्यूज चैनल खोल कर देख सकते हैं। आइए इसकी परिभाषा देख लेते हैं।

डिक्शनरी के मुताबिक, 'संसार को दुखमय मानने तथा प्रत्येक वस्तु को निराशाजनक दृष्टिकोण से देखने की वृत्ति' निराशावाद है। दूसरी तरफ, आशावाद का मतलब है, 'सदा अच्छी बातों और सफलता में विश्वास रखने वाला सिद्धांत।' आपको क्या लगता है कि एक बचत करने वाला, जो अपना धन निवेश से बढ़ाना चाहता है उसके लिए सही मन:स्थिति क्या है। किसी ने एक बार कहा था- निराशावादी स्मार्ट लगते हैं, आशावादी पैसे बनाते हैं। निराशावादी स्मार्ट क्यों लगते हैं, खासतौर पर निवेश के संदर्भ में? क्योंकि उनकी बातें तथ्यों, रुझानों, आंकड़ों, अनुमानों और इसी तरह की तमाम बातों से लदी-फंदी होती हैं। दूसरी तरफ, आशावादी अपने सिद्धांतों और मानवीय व्यवहार पर कहीं ज्यादा भरोसा करते हैं। खासतौर पर जब बात निकट भविष्य से आगे की हो।

अलग-अलग दृष्टिकोण

कोई निराशावादी कुछ इस तरह कहेगा- रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं, इसलिए कुछ प्रतिशत कंपनियों का वित्तीय खर्च बढ़ जाएगा। सुनने में ये काफी स्मार्ट लगता है- ऐसा लगता कि बोलने वाला व्यक्ति अच्छी तरह जानता है कि क्या कुछ चल रहा है। वहीं, एक आशावादी कहेगा- हां, ये हो तो सकता है, पर मुझे लगता है कि अच्छी तरह से मैनेज की जा रही काबिल मैनेजमेंट वाली कंपनियां इस परिस्थिति से निपटने का तरीका ढूंढ़ लेंगी और इस सबके बावजूद अच्छा प्रदर्शन करेंगी क्योंकि पहले भी वो ऐसा कर चुकी हैं। यहां आशावादी एक अनजान चीयरलीडर की तरह लग रहा है, ऐसा जिसे तथ्यों और आंकड़ों की कोई समझ नहीं है और जो सिर्फ स्लोगन दे रहा।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

ये भी पढ़ें-

Diwali Muhurat Trading: कल शेयर बाजार में होगी मुहूर्त ट्रेडिंग, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Gold या Real Estate के अलावा भी हैं कई विकल्प, अपनाएं गारंटीड रिटर्न प्लान और बनाएं अपनी दिवाली 'हैपी'