FTX के दिवालिया होने से मिला क्रिप्टो निवेशकों को सबक, ऐसी फ्राड स्कीमों से सावधान रहने की जरूरत
हाल ही में अमेरिकी एक्सचेंज FTX ने दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है। इसने पूरे क्रिप्टो की सच्चाई को सामने ला दिया है। यह ठगी करने वाले लोगों के लिए जल्द पैसा बनाने का एक अच्छा तरीका है और केवल सबसे ज्यादा जालसाजों को ही आकर्षित करता है।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Sun, 27 Nov 2022 08:59 AM (IST)
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। अमेरिका का क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स दिवालिया हो गया है। अच्छी बात है कि भारत में क्रिप्टो रेगुलेटेड नहीं है। क्रिप्टो को रेगुलेट किया भी नहीं जाना चाहिए। जो लोग इसमें शामिल हैं, उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए। उनके चुने हुए तरीके और वक्त के मुताबिक उन्हें दिवालिया होने की आजादी देनी ही चाहिए।
इस कालम को नियमित पढ़ने वाले इस बात से अचरज में पड़ जाएंगे। क्योंकि मैं एक अरसे से क्रिप्टो एक्सचेंज और क्रिप्टो ट्रेडिंग को रेगुलराइज करने की बात कहता रहा हूं। दरअसल, ये तथाकथित एक्सचेंज, असल में एक्सचेंज हैं ही नहीं और भारतीय निवेशकों के बैंक अकाउंट्स के लिए एक गंभीर खतरा हैं।
नहीं होना चाहिए रेगुलेट
रेगुलेशन का न होना ही बेहतर है, क्योंकि क्रिप्टो को रेगुलेट करने से, एक रेगुलेटर तमाम क्रिप्टो एक्सचेंजों को भरोसेमंद होने का सर्टिफिकेट देने का काम करने लगेगा, और ये बुरा है। हालांकि, एफटीएक्स के खात्मे के बाद जो ब्योरा सामने आ रहा है, वो दिखाता है कि या तो इन्हें रेगुलेट किया ही नहीं जा सकता या करने लायक ही नहीं हैं। क्रिप्टो ठगी करने वालों के लिए ही बना है। इसलिए वो सबसे ज्यादा जालसाजों को ही आकर्षित करता है।
एफटीएक्स के दिवालिया होने के कुछ देर बाद किसी ने मजाक किया था, जिसे मैंने री-ट्वीट किया।मजाक था कि अभी-अभी अपने नए स्टार्टअप के लिए 50 करोड़ डालर जुटाए हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के जरिये क्रिप्टो का फ्राड पकड़ा जाता है। हम असल में एआइ का इस्तेमाल नहीं करते हैं। हम सिर्फ ये कहते हैं कि सबकुछ फ्राड है और अभी तक हम गलत साबित नहीं हुए हैं। ये माना जा सकता था कि एक व्यक्ति जो 10 अरब डालर से ज्यादा की धोखाधड़ी वाली स्कीम चलाएगा, उसे हर किसी की निंदा का पात्र बनना पड़ेगा। उसका पक्ष लेने वाला कोई नहीं होगा।
मगर एफटीएक्स के बास सैम बैंकमैन-फ्रीड के साथ जो हो रहा है, वो बहुत अलग है। अमेरिका मीडिया में कई लेख सैम द्वारा किए गए नुकसान को कम करने में लगे हुए हैं। वो इसे सीधे-सीधे चोरी कहने के बजाए, गलतियों और गलत फैसलों का दर्जा दे रहे हैं। कई लेख इस बात की चर्चा भी जोर-शोर से कर रहे हैं कि कैसे उसके कई डोनेशंस के जरिये बहुत से विज्ञान शोध और दूसरे परोपकार के काम चल रहे थे और अब ये सब रुक जाएंगे। सबसे जरूरी सवाल कि भारतीय बचतकर्ताओं और निवेशकों के लिए इसके क्या मायने हैं? पहली बात तो ये कि क्रिप्टो की ठगी अब एक वैश्विक वित्तीय सिस्टम के तौर पर बरकरार रह सकती है।