पर्सनल फाइनेंस की उलझी कड़ियों को सुलझाने के लिए अपनाएं ये ट्रिक, कभी नहीं होगी रिटर्न पाने में मुश्किल
हममें से ज्यादातर लोगों के लिए पर्सनल फाइनेंस सर्विस को समझना एक मुश्किल पहेली सुलझाना है। ये कोई बच्चों की कहानी नहीं है। इसका एक मकसद है- इस बात की अहमियत को बचतकर्ता और निवेशक समझें कि चीजें किस तरह काम करती हैं।
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Sat, 10 Jun 2023 06:34 PM (IST)
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। एक आजाद इंसान को कोई भी पसंद नहीं करता। सभी संस्थान या किसी भी तरह के संगठन चाहते हैं कि जिन लोगों से उनका लेना-देना है, वो उनकी गाइडेंस और उनके नियंत्रण में ही रहें। क्या ये बात किसी गुरु की कही हुई लगती है? अगर ऐसा है, तो अचरज की कोई बात नहीं, क्योंकि ओशो ने ये बातें कई बार कही हैं।
अब आपका सवाल होगा कि मैं इसके बारे में क्यों बात कर रहा हूं। इसका पर्सनल फाइनेंस से क्या लेना-देना है? काफी है और आप खुद देखेंगे। मैं पहले कही गई बात, अब दूसरी तरह से कहता हूं ताकि वो पर्सनल फाइनेंस पर ज्यादा फिट बैठे। कोई भी बिजनेस जिनके जरिये आप अपना निवेश करते हैं, वो आजाद सोच वाले इंसानों को पसंद नहीं करते। वो सब के सब आपको अपनी गाइडेंस और नियंत्रण में रखना चाहते हैं।
सोच समझ कर लें फैसला
अगर आप आजादी से अपने निवेश और इंश्योरेंस के फैसले लेने लगें और आपके फैसलों का आधार सिर्फ आपके हित हों, तो ये लोग आपसे उतने ही पैसे बना पाएंगे जितने सही होंगे। और फिर अगर बहुत से लोग आपकी नकल करने लगेंगे, तो कई बिजनेस या तो ठप पड़ जाएंगे या उन्हें बिजनेस करने के अपने तरीके सिरे से बदलने पड़ जाएंगे। अब देखते हैं कि ये आजाद व्यक्ति क्या-क्या करेगा? ये आजाद शख्स सुरक्षा के लिए टर्म प्लान के अलावा और कोई दूसरा इंश्योरेंस नहीं लेगा।
निवेश के लिए थोड़े से विविधता वाले फंड्स को डायरेक्ट प्लान के जरिये ही चुनेगा, लगातार निवेश जारी रखेगा और शायद ही उसमें कभी कुछ बदलेगा। वक्त के साथ ये व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों के मुनाफे को ज्यादा से ज्यादा बढ़ा पाएगा। उन लोगों के लिए भी जो उसे फाइनेंशियल सर्विस देते हैं या मध्यस्थ के तौर पर काम करते हैं।ऐसे व्यक्ति की निवेश के किसी नए तड़कते-भड़कते आइडिया में कोई दिलचस्पी नहीं होगी।