Move to Jagran APP

घबराए और परेशान ग्राहकों की ताक में रहते हैं जालसाज, क्लेम और पॉलिसी रिन्यू के बहाने होता है सबसे अधिक फ्रॉड

पुलिस द्वारा कई फर्जी कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ करने के बावजूद फर्जी इंश्योरेंस कॉल सेंटर्स का जाल फैलता जा रहा है। ये बोनस भुगतान या बीमा पॉलिसियों पर रिफंड का वादा करने वाले फर्जी कॉल के जरिए ग्राहकों को ठग लेते हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Thu, 29 Dec 2022 06:38 PM (IST)
Hero Image
Insurance Fraud: do not forget these important things
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले महीने गुड़गांव पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था, जो पॉलिसीधारकों के डाटा को धोखाधड़ी के जरिए हासिल कर उन्हें ठगने में कामयाब रहे थे। इन जालसाजों ने फर्जी कॉल सेंटर चलाने के लिए महिला कर्मचारियों को काम पर रखा था। स्कैमस्टर्स ने 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को निशाना बनाया और उन्हें अपनी समाप्त हो चुकी पॉलिसी को फिर से चालू करने के लिए प्रीमियम का भुगतान करने के लिए कहा। इस तरह उन्होंने करोड़ों रुपये की ठगी की।

इस महीने की शुरुआत में, बेंगलुरु पुलिस को साइबर क्राइम की कई शिकायतें मिलीं। कॉल करने वालों ने लोगों को ठगने के लिए खुद को बीमा अधिकारी बताया। पीड़ितों में एक 60 वर्षीय डॉक्टर भी शामिल थे, जिन्हें अपनी उच्च-मूल्य वाली पॉलिसी को प्री-क्लोज करने के प्रस्ताव के जवाब में फंड ट्रांसफर करने के बाद 80 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। पिछले साल मुंबई पुलिस ने एक बैंक अधिकारी की शिकायत के बाद ऐसे ही एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था। बैंक अधिकारी को लैप्स हो चुकी 2.9 लाख रुपये की पॉलिसी के चक्कर में 90 हजार का नुकसान हो चुका था।

फर्जीवाड़े का फैलता जाल

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि पिछले साल नियामक ने एक पोर्टल बनाया, जहां सस्ते बीमा की फर्जी कॉल आने पर पॉलिसीधारक शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आईआरडीएआई ने कंपनियों से अपने ग्राहकों को सुरक्षित ऑनलाइन लेन-देन सुविधा मुहैया कराने को कहा है।

भावनात्मक कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं जालसाज

बैंकरों का कहना है कि समस्या बीमा तक ही सीमित नहीं है। जालसाज ग्राहकों की भावनात्मक कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं। इस तरह की कई फर्जी कॉलों में यह पता चला है कि कॉल करने वाला ग्राहक को डराने की कोशिश करता है, जैसे उनकी बिजली या गैस कनेक्शन काट दिया जाएगा या कोई और बड़ा नुकसान हो जाएगा। है। सबसे डराने वाली लाइन ये होती है कि 'ग्राहक को तत्काल ये कार्य करना होगा और यदि वह नहीं करता है तो वह अब तक पॉलिसी पर खर्च किए गए प्रीमियम और पैसे से हाथ धो बैठेगा। यह सुनकर ग्राहक घबरा जाते हैं। यह उन्हें गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर करता है। बैंक ने ऐसे जोखिमों से बचने के लिए ग्राहकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

क्या करें ग्राहक

अगर दूरसंचार या बीमा कंपनी की ओर से कोई लापरवाही होती है, तो पीड़ित उनसे मुआवजे की मांग कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि दूरसंचार प्रदाता ने एसएमएस भेजने वाले का केवाईसी नहीं किया है। यदि पॉलिसीधारक की जानकारी पर बीमा कंपनी का डेटा लीक हो गया है, तो पीड़ित कंपनियों के खिलाफ सहारा ले सकता है। कई सेवा प्रदाता सुविधा के लिए भुगतान लिंक भेजते हैं, इसलिए ग्राहक के लिए असली-नकली को अलग करने की चुनौती है। पेमेंट गेटवे के मामले में, ग्राहक क्रेडेंशियल दर्ज करता है और पेमेंट पार्टी का विवरण प्रदान करता है। लेकिन पीयर-टू-पीयर भुगतान (जो अक्सर धोखाधड़ी में होता है) के लिए किसी नाम की जानकारी नहीं दी जाती।

सावधान रहने की जरूरत

जालसाज दूसरे तरीके भी अपनाते हैं। वे अक्सर पीड़ितों को लिंक भेजते हैं या उन्हें क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए कहते हैं। इससे उनके फोन या सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल हो जाता है और स्कैमर्स बड़ी आसानी से पीड़ित के फोन या कंप्यूटर का एक्सेस हासिल कर लेते हैं।

क्या कहते हैं बैंकिंग के नियम

बैंकरों का कहना है कि एक बार जब ग्राहक अपनी क्रेडिट या अन्य जानकारियां साझा करता है तो नियमों के अनुसार बैंक किसी भी दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। बैंक, फ्रॉड के जरिए पैसा हासिल करने वालों के खाते को तब तक फ्रीज नहीं कर सकते, जब तक कि कोई पुलिस शिकायत न हो। इसलिए पीड़ितों को तुरंत अपने बैंक को आगे की निकासी को रोकने के लिए सूचित करना चाहिए।

ये भी पढ़ें-

LIC जल्द कर सकती है अपनी प्लानिंग में बदलाव, बीमा कानून में संशोधन के बाद ये होगी कंपनी की रणनीति

कोराना वैक्सीन की 3 खुराक लगवाने वालों को इंश्योरेंस रिन्यू कराने पर मिलेगी छूट? क्या है IRDAI का प्लान