Insurance Policy: क्या है भारत में इंश्योरेंस का इतिहास, कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत
बीमा आपको और आपके प्रियजनों को व्यापक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा आप अपनी संपत्ति और संपत्ति की सुरक्षा के लिए बीमा कवर का विकल्प चुनते हैं। भारत में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की बीमा पॉलिसियों को समझना और उन्हें चुनना जरूरी है।
By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sun, 07 May 2023 07:30 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: बीमा एक शब्द है, जिसे सुनकर आपका डर दूर हो जाता है। यूं कहें कि बीमा कंपनियों ने आपके डर को ही बिजनेस बना लिया है। आप भी अपनी जिंदगी में सुरक्षित महसूस करना चाहते होंगे। ऐसे में बीमा के जरिए आपका और बीमा कंपनियों, दोनों का ही फायदा है।
जीवन में कोई अप्रत्याशित स्थिति आपके परिवार की खुशहाली को भंग कर सकती है। ऐसे परिदृश्यों के लिए, भारत में विभिन्न प्रकार की जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि भारत में इंश्योरेंस की शुरुआत कब हुई थी और देश में कितने तरह के बीमा मौजूद हैं। आइए सरल शब्दों में इन सवालों के उत्तर जानते हैं।
कैसे हुई शुरुआत
भारत में बीमा का इतिहास बहुत पुराना है। इसका उल्लेख मनु (मनुस्मृति), याज्ञवल्क्य (धर्मशास्त्र) और कौटिल्य (अर्थशास्त्र) के लेखन में मिलता है। प्राचीन भारतीय इतिहास ने समुद्री व्यापार ऋण और वाहक अनुबंधों के रूप में बीमा के शुरुआती निशानों को संरक्षित रखा है।
भारत में बीमा, समय के साथ विकसित हुआ है। देश में बीमा की शुरुआत अन्य देशों, खासकर इंग्लैंड से काफी प्रभावित होकर हुई है।
भारत में सबसे पहली बीमा कंपनी ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस थी। इसे वर्ष 1818 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में स्थापित किया गया था। यह कंपनी हालांकि 1834 में डूब गई।करीब पांच साल के बाद वर्ष 1823 में देश को दूसरी बीमा कंपनी, बॉम्बे लाइफ़ एश्योरेंस कंपनी मिली। इसके बाद वर्ष 1829 में मद्रास इक्वेटिव गारंटर कंपनी की शुरुआत हुई।
1914 में, भारत सरकार ने भारत में बीमा कंपनियों के रिटर्न प्रकाशित करना शुरू किया। भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम, 1912 जीवन व्यवसाय को विनियमित करने वाला पहला वैधानिक उपाय था।