LIC के IPO में पैसा लगाने से इस देश को रोकेगी सरकार, जानिए क्या है वजह
LIC IPO news LIC के बहुप्रतीक्षित IPO के बाजार में आने से पहले मोदी सरकार चीनी निवेशकों को रोकने का फॉर्मूला खोज रही है। IPO के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) को अंतिम रूप दे दिया गया है।
By Ashish DeepEdited By: Updated: Fri, 24 Sep 2021 08:23 AM (IST)
नई दिल्ली, रायटर्स। LIC के बहुप्रतीक्षित IPO के बाजार में आने से पहले मोदी सरकार चीनी निवेशकों को रोकने का फॉर्मूला खोज रही है। IPO के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) को अंतिम रूप दे दिया गया है। इनमें कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लिमिटेड, गोल्डमैन सैक्स सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और जेएम फाइनेंशियल शामिल हैं।
रायटर्स की खबर के मुताबिक दोनों देशों के बीच जारी तनातनी के कारण मोदी सरकार नहीं चाहती कि LIC के IPO में चीनी निवेश आए। LIC की भारतीय बीमा बाजार पर 60 फीसदी सेज्यादा हिस्सेदारी है। उसका एसेट 500 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा बड़ा है। एकतरफ जब सरकार LIC के IPO में विदेशी निवेशकों को पैसा लगाने के लिए रास्ता खोज रही है, ऐसे में चीनी निवेश को रोकना भी बड़ी मुश्किल है। सूत्रों ने कहा कि सरकार इस मकसद में हर तरह कामयाब होगी।IPO के लिए दूसरे लीड मैनेजर में सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया, नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी एंड सिक्योरिटीज (इंडिया), एक्सिस कैपिटल, डीएसपी मेरिल लिंच और एसबीआई कैपिटल मार्केट शामिल हैं। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Dipam) के सचिव के मुताबिक सरकार ने एलआईसी के आईपीओ के लिए बुक रनिंग लीड मैनेजर्स और कुछ अन्य सलाहकार अब ड्राफ्ट प्रोस्पेक्ट्स तैयार कर रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई में एलआईसी के विनिवेश को मंजूरी दी। दीपम ने IPO से पहले एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य निकालने के लिए बीमांकिक (actuarial) कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स एलएलपी इंडिया की नियुक्ति की थी। इसे भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम कहा जा रहा है।LIC का IPO चालू वित्त वर्ष के अंत तक आ सकता है। एलआईसी आईपीओ के निर्गम आकार का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित रखा जाएगा। प्रस्तावित आईपीओ के लिए सरकार पहले ही एलआईसी कानून में जरूरी विधायी संशोधन कर चुकी है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस 1.75 लाख करोड़ रुपये में एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से जुटाए जाएंगे। शेष 75,000 करोड़ रुपये केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के विनिवेश से आएंगे।(पीटीआई इनपुट के साथ)