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Active Vs Passive Investment: क्या है एक्‍टि‍व और पैसिव इंवेस्‍टमेंट, दोनों में कौन-सा ऑप्शन है बेस्ट

Investment Tips निवेश करते समय दो ऑप्शन सामने आता है एक एक्‍टि‍व इंवेस्‍टमेंट और दूसरा पैसिव इंवेस्‍टमेंट। यह दोनों इंवेस्‍टमेंट अलग है। अगर आप भी इन्वेस्टमेंट का सोच रहे हैं तो आपको पहले जान लेना चाहिए कि एक्‍टि‍व और पैसिव इंवेस्‍टमेंट क्या होती है। इन दोनों के बीच क्या अंतर है। यह सब जानने के बाद आप सही निवेश के ऑप्शन को सेलेक्ट कर सकते हैं।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Wed, 21 Feb 2024 09:30 AM (IST)
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क्या है एक्‍टि‍व और पैसिव इंवेस्‍टमेंट (जागरण फोटो)
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको एक्‍टि‍व और पैसिव इंवेस्‍टमेंट के बारे में जानना जरूरी है। इसके क्या फायदे और नुकसान है इसके बारे में बताता है। अगर आप सही रिसर्च के साथ निवेश नहीं करते हैं तो भविष्य में आपको जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

चलिए, आज हम आपको बताएंगे कि एक्‍टि‍व और पैसिव इंवेस्‍टमेंट क्या होता है। इसमें क्या अंतर है।

एक्‍टि‍व इंवेस्‍टमेंट क्या है?

एक्‍टि‍व इंवेस्‍टमेंट में बेंचमार्क को पीछे छोड़ने पर जोर दिया जाता है। इसके लिए निवेशक काफी रिसर्च करता है और ज्यादा से ज्यादा रिस्क लेता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी निवेशक को बेहतर स्टॉक मिल रहा है तब भी वह ऐसे स्टॉक को सेलेक्ट करता है जिसमें ज्यादा रिटर्न मिलने की क्षमता होती है।

इसमें जब निवेशक निवेश करते हैं तो उन्हें शेयर को ट्रैक या मॉनिटर करना होता है। इससे आपका फाइनेंशियल पोर्टफोलियो में भी फेरबदल होता है।

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पेसिव इन्वेस्टमेंट क्या है?

एक्टिव इन्वेस्टमेंट से विपरीत पेसिव इन्वेस्टमेंट होता है। इसमें मैनेचर की कोई भूमिका नहीं होता है। इसमें बेंचमार्क जैसा रिटर्न देती है। इसमें एक्टिव इन्वेस्टमेंट से कम रिस्क होता है।

चलिए, इन दोनों इन्वेस्टमेंट के बीच के अंतर को समझते हैं।

एक्टिव और पेसिव इन्वेस्टमेंट में क्या है अंतर

  • एक्टिव इन्वेस्टमेंट में आपको मार्केट इंडेक्स को पछाड़ना होता है। वहीं पेसिव इन्वेस्टमेंट में बाजार में आई तेजी से निवेशकों को मुनाफा होता है।
  • एक्टिव इन्वेस्टमेंट में आपको शेयर की खरीद और बिक्री के फैसले जल्दी लेने होते हैं जबकि पेसिव में निवेश के फैसले लेने के लिए काफी समय होता है।
  • एक्टिव इन्वेस्टमेंट में ट्रांजेक्शन की संख्या पेसिव के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। एक्टिव में रिसर्च रिलेटिड कॉस्ट भी ज्यादा होती है।
  • एक्टिव इन्वेस्टमेंट में कैपिटल गेंस टैक्स भी शामिल होता है। इसकी वजह है ज्यादा ट्रांजेक्शन की संख्या। पेसिव इन्वेस्टमेंट में कैपिटल गेंस टैक्स कम होता है।
  • एक्टिव इन्वेस्टमेंट में काफी रिस्क होता। इसमें रिटर्न की गुंजाइस भी ज्यादा नहीं होती है। वहीं, पेसिव इन्वेस्टमेंट में आपको बेंचमार्क जितनी ही रिटर्न मिलता है।
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