संकेतकों के हिसाब से निर्णय बेहतर
कीमतों में जब गिरावट हो, तब खरीदें और तेजी पर बेचें, इस सिद्धांत के आधार पर इक्विटी निवेशक खरीद-बिक्री के लिए सही समय चुन सकते हैं। इस सिद्धांत को लगातार शेयर बाजार की सबसे बड़ी भ्रांति भी कहा जाता है। हालांकि इस धारणा के प्रति आकर्षण में अब तक कोई कमी नहीं आई है। जो निवेशक इस सिद्धांत को लागू करने में कामयाब होते ह
कीमतों में जब गिरावट हो, तब खरीदें और तेजी पर बेचें, इस सिद्धांत के आधार पर इक्विटी निवेशक खरीद-बिक्री के लिए सही समय चुन सकते हैं। इस सिद्धांत को लगातार शेयर बाजार की सबसे बड़ी भ्रांति भी कहा जाता है। हालांकि इस धारणा के प्रति आकर्षण में अब तक कोई कमी नहीं आई है। जो निवेशक इस सिद्धांत को लागू करने में कामयाब होते हैं, उनका लाभ काफी ज्यादा होता है। लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इस सिद्धांत को लागू करने में असफल होते हैं और तगड़ा नुकसान झेलते हैं। परफेक्ट टाइमिंग की इस फैंटेसी को मार्केट इंडेक्स के चार्ट के जरिये बखूबी बताया जाता है 'यदि कोई है जो हर गिरावट में खरीदता है और तेजी मे बेचता है तो वह मैं हूं।' लेकिन ऐसा होता नहीं है, कम से कम किसी उपयोगी और टिकाऊ रूप में।
हालांकि एक खास तरह के कम जाने पहचाने म्यूचुअल फंड इस टाइमिंग को उपयोगी तरीके से हासिल करने में सफल रहे हैं। यह तरीका आम निवेशकों के लिए भी बिना कोई खास जटिलता के उपलब्ध है। इस तरीके को इस्तेमाल करने वाले फंडों को हाइब्रिड असेट अलोकेशन फंड कहा जाता है। वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन पर आप हाइब्रिड फंडों (बैंलेंस्ड फंडों) की छोटी उपश्रेणी को देख सकते हैं, जो कि इक्विटी और फिक्सड इनकम विकल्पों में संपत्तियों को बांटते हैं। आम तौर पर हाइब्रिड फंड सीमित इक्विटी और डेट विकल्पों में कारोबार करते हैं। इन फंडों का असेट अलोकेशन इस पर निर्भर करता है कि इक्विटी बाजार में कीमतें ज्यादा हैं या कम।