रोजगार की स्थिति में हो रहा तेज सुधार, बिगड़ेे थे अप्रैल-जून, 2020 में हालात
अप्रैल-जून 2020 के बाद रोजगार के विभिन्न संकेतकों में उछाल देखने को मिल रहा है। शहरी क्षेत्र में रोजगार मार्च 2021 में ही महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया। आर्थिक सर्वे के अनुसार कोरोना के चलते देशभर में लाकडाउन के बाद अप्रैल-जून 2020 में रोजगार की स्थिति बिगड़ी थी।
By Monika MinalEdited By: Updated: Tue, 01 Feb 2022 07:15 AM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। रोजगार के मोर्चे पर सरकार भले ही विपक्षी दलों के निशाने पर रही हो, लेकिन आर्थिक सर्वे के अनुसार सच यह है कि पिछले कम से कम डेढ़ वर्ष से इसकी स्थिति काफी सुधरी है। आर्थिक सर्वे के अनुसार कोरोना के चलते देशभर में लगाए गए लाकडाउन के बाद अप्रैल-जून, 2020 में रोजगार की स्थिति बिगड़ गई थी। लेकिन रोजगार के विभिन्न संकेतकों में अब उछाल देखने को मिल रहा है।
महामारी की दूसरी लहर में आसान था नौकरी मिलना
तिमाही अवधि वाले श्रम बल सर्वेक्षण का कहना है कि शहरी क्षेत्र में रोजगार मार्च, 2021 में ही महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया था। वहीं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों को नौकरी मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। इतना ही नहीं, रोजगार पर दूसरी लहर का असर नहीं के बराबर दिखा। कोरोना संकट के दौरान ग्रामीण असंगठित रोजगार क्षेत्र को मदद देने के लिए सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बजट में भी बढ़ोतरी कर दी, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली।
सर्वे के अनुसार इकोनामी में सुधार के बाद बेरोजगारी दर (यूआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और कामगार जनसंख्या दर (डब्ल्यूपीआर) जैसे मानक कोरोना पूर्व के स्तर पर पहुंच गए हैं। आर्थिक सर्वे ने ईपीएफओ आंकड़ों के माध्यम से बताया है कि संगठित क्षेत्र के रोजगार का प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों के दौरान बेहतर रहा है।संसद में पेश हुआ आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया। इसमें आगामी वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 8-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। मंगलवार को संसद में निर्मला सीतारमण दिन में 11 बजे आगामी वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करेंगी। इसमें खपत बढ़ाने के लिए ग्रामीण इलाके में रोजगार से जुड़े मनरेगा का आवंटन बढ़ सकता है। किसानों को राहत देने के लिए खाद सब्सिडी में भी बढ़ोतरी हो सकती है।