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Income Tax की चोरी करने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी, आई-टी डिपार्टमेंट ने बनाया तगड़ा प्लान

Income Tax इनकम टैक्स विभाग ने कर चोरी करने वालों पर सख्ती बरतने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाई गई है। आईटी रिटर्न पर अधिकारियों की पैनी नजर है। इस बीच सरकार कर आधार के विस्तार की उम्मीद भी कर रही है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Fri, 26 May 2023 08:25 AM (IST)
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Income Tax: Income Tax Departement to do complete scrutiny of tax evasion on returns

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आयकर अधिकारियों ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत चालू वित्त वर्ष के दौरान करों की चोरी रोकने के लिए गहन जांच अभियान चलाने का फैसला किया है। अधिकारियों को रिटर्न पर कर चोरी की विशिष्ट जानकारी वाले मामलों की अनिवार्य रूप से जांच के लिए कहा गया है।

ऐसे मामले, जिन्हें धारा 148 के तहत उठाया है, उन पर विशेष रूप से नजर रखी जाएगी। ये धारा उपलब्ध जानकारी के आधार पर किसी की आय का अनुमान लगाने के लिए कर अधिकारियों को अधिकार देती है।

रडार पर हैं ये लोग

कर अधिकारियों ने बताया है कि जिन लोगों की आय में अचानक वृद्धि हुई है, वे लोग आयकर विभाग के रडार पर हैं। कई तथ्यों के कारण पिछले निर्धारण वर्ष के दौरान ऐसे लोगों की आय में वृद्धि हुई थी, उन्हें भी जांच के लिए चुना जाना चाहिए। आयकर विभाग हर साल दायर किए जाने वाले रिटर्न में से कुछ मामलों को जांच के योग्य मानता है और उन पर कार्रवाई करता है।

आयकर अधिकारियों की नजर

अधिकारी करदाताओं के कुछ विशिष्ट समूह पर नजर रख रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपनी आय की सही रिपोर्ट दर्ज करें। चालू वित्त वर्ष के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जिन मामलों में सर्वेक्षण, तलाशी और जब्ती की गई है या जहां आयकर कानून की धारा 142(1) के तहत विवरण मांगते हुए नोटिस जारी किए गए हैं, उनकी जांच जरूर होनी चाहिए।

इन रिटर्न की अनिवार्य जांच की मांग करते हुए विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारियों को निर्दिष्ट मापदंडों का पालन करना होगा। आयकर के अंतरराष्ट्रीय कराधान के मामलों में अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

कर आधार के विस्तार की जरूरत

सरकार कर आधार का विस्तार करने की उम्मीद कर रही है और पिछले कुछ वर्षों में उन क्षेत्रों पर फोकस किया गया है, जहां स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) या स्रोत पर संग्रह (टीसीएस) वसूल किया जाता है। इस डेटा के साथ जीएसटी और अन्य एजेंसियों से आने वाली जानकारियों का इस्तेमाल डेटाबेस बनाने में किया जा रहा है। इसके बाद प्राप्त सूचना का टैक्स रिटर्न के साथ मिलान किया जाता है।

I-T विभाग ने बुधवार को धर्मार्थ और धार्मिक ट्रस्टों के लिए पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की समय सीमा भी 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी।