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Tax Regime Selection: अगर आपने नहीं चुना कोई भी टैक्स रिजीम तो आयकर विभाग लेगा ये एक्शन

Consequences of Failing to Choose Tax Regime एक करदाता को नई या पुरानी व्यवस्था में से किसी एक का चुनाव करना है लेकिन क्या हो अगर दोनों में से किसी का भी चुनाव नहीं किया जाए। ऐसे में CBDT ने नियम तय कर रखे हैं। (फाइल फोटो)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Fri, 21 Apr 2023 04:24 PM (IST)
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Consequences of Failing to Choose Tax Regime, Know CBDT Rules
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्तीय वर्ष 2023-24 से कर व्यवस्था में शामिल होने के लिए नए या पुराने टैक्स रिजीम (New Or Old Tax Regime) को चुनना जरूरी है। अगर आप एक वेतनभोगी हैं तो आपके नियोक्ता ने आपको इसका चुनाव करने के लिए जरूर कहा होगा।

अपनी सुविधा या मुनाफे को देखते हुए जहां कुछ करदाता नई व्यवस्था में शामिल हो रहे हैं, वहीं कुछ ने पुरानी व्यवस्था में बने रहने का निर्णय लिया है। पर क्या हो जब कोई व्यक्ति दोनों में से किसी भी व्यवस्था का चुनाव नहीं करता है। आपको बता दें कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा इस स्थिति के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिसके हिसाब से कर का भुगतान किया जाएगा।

क्या है नियम

अगर किसी कर दाता ने नई या पुरानी व्यवस्था दोनों में से किसी का भी चुनाव नहीं किया है तो इसका असर TDS के रूप में देखा जाएगा और ये दरें नई व्यवस्था के तहत काटा जाएगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के एक सर्कुलर के मुताबिक, यदि कर्मचारी द्वारा सूचना नहीं दी जाती है, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी डिफॉल्ट कर व्यवस्था में बना हुआ है और उसने नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है।

TDS पर दिखेगा असर

अगर कोई व्यक्ति किसी भी कर व्यवस्था का चुनाव नहीं करता है तो आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत उसका TDS नई व्यवस्था के मुताबिक किया जाएगा। इस मतलब है कि 80C के तहत मिलने वाली किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। हालांकि, करदाताओं के लिए इसे आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने नई कर व्यवस्था में कुछ बदलाव किए हैं, जिसमें 50,000 रुपये का मानक कटौती प्रदान करना शामिल है।

नया टैक्स स्लैब

वित्तीय वर्ष 2023-24 से लागू होने वाला नया टैक्स स्लैब कुछ इस तरह से हैं-

  • 0-3 लाख रुपये तक की सालाना आय- 0%
  • 3-6 लाख रुपये तक की सालाना आय- 5%
  • 6-9 लाख रुपये तक की सालाना आय- 10%
  • 9-12 लाख रुपये तक की सालाना आय- 15%
  • 12-15 लाख रुपये तक की सालाना आय- 20%
  • 15 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय- 30%