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भारतीय शेयर बाजार में बढ़ा P-Notes के जरिये निवेश, जुलाई के अंत तक 1.2 लाख करोड़ रुपये का हुआ इन्वेस्टमेंट

पी-नोट के निवेश में लगातार चौथे महीने वृद्धि देखने को मिली है। भारतीय पूंजी बाजार में इसके तहत निवेश जुलाई के अंत तक बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये का हो गया था। जो कि पिछले 4 महीनों के दौरान इसमें निवेश का सबसे ऊंचा स्तर भी है।

By Abhishek PoddarEdited By: Updated: Sun, 22 Aug 2021 08:03 AM (IST)
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P-Note के तहत निवेश तक बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये का हो गया था
नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के शेयर बाजार में जारी तेजी का असर पी-नोट निवेश में भी देखने को मिल रहा है। पी-नोट के निवेश में लगातार चौथे महीने वृद्धि देखने को मिली है। भारतीय पूंजी बाजार में इसके तहत निवेश जुलाई के अंत तक बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये का हो गया था। जो कि पिछले 4 महीनों के दौरान इसमें निवेश का सबसे ऊंचा स्तर भी है। पी-नोट पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किया जाता है, जो खुद को पंजीकृत किए बिना ही सीधे तौर पर भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनाना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए उनको एक उचित समीक्षा प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है।

मार्केट रेगुलेटर बॉडी सेबी के अनुसार भारतीय बाजार में पी-नोट का निवेश मूल्य ( इक्विटी, डेब्ट और हाइब्रिड सिक्योरिटी को मिलाकर ) जुलाई महीने के अंत तक बढ़कर 1,01,798 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। जबकि 30 जून 2021 तक यह आंकड़ा 92,261 करोड़ रुपये का था। यदि इससे पहले की बात की जाए तो, मई की समाप्ति पर पी-नोट निवेश 89,743 करोड़ रुपये, अप्रैल की समाप्ति पर 88,447 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2021 को 89,100 करोड़ रुपये रुपये तक पहुंचा था।

जुलाई के महीने में पी-नोट के जरिए कुल 1,01,798 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था, जिसमें 93,150 करोड़ रुपये इक्विटी में, 8,290 करोड़ रुपये डेब्ट में और 358 करोड़ रुपये हाइब्रिड सिक्योरिटी में निवेश किए गए थे। जुलाई 2021 में पी-नोट के जरिए निवेश का यह स्तर मार्च 2018 के बाद से सबसे ज्यादा है। इस दौरान इसके जरिये कुछ निवेश राशि का प्रवाह 1,06,403 करोड़ रुपये रहा था। विशेषज्ञों के अनुसार इस रुझान से घरेलू बाजारों में विदेशी निवेशकों के बढ़ते विश्वास का पता चलता है।

विदेशी कोषों के बढ़ते निवेश प्रवाह के बाद जुलाई अंत तक FPI के अधीन कुल संपत्ति बढ़कर 48.36 लाख करोड़ रुपये हो गयी थी, जो कि जून की समाप्ति पर 48 लाख करोड़ रुपये तक थी।