ITR Filing: गलत आईटीआर फाइल किया तो देना पड़ेगा जुर्माना, इन बातों का रखें ख्याल
ITR Filing इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का समय नजदीक आ रहा है। 31 जुलाई तक सभी करदाता को रिटर्न फाइल करना होगा। अगर वह समय से रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो उन्हें बाद में पेनल्टी का भुगतान करना होगा। कई बार रिटर्न फाइल करते समय करदाता जल्दबाजी करते हैं और गलत आईटीआर फाइल कर देते हैं। रिटर्न फाइल करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। टैक्सपेयर्स को 31 जुलाई 2024 (ITR Filing Last Date) तक इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करना होगा। अब जैसे-जैसे रिटर्न फाइल की तारीख नजदीक आ रही है तो ज्यादा से ज्यादा करदाता रिटर्न फाइल करने लगे हैं। कई बार करदाता जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करते हैं और कुछ गलतियां कर बैठते हैं।
अगर रिटर्न फाइल करने में कोई गलती है तो फिर टैक्स रिफंड (Tax Refund) भी अटक जाता है। कई बार तो आईटीआर डिफेक्टिव हो जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि रिटर्न फाइल करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आप कोई गलती न कर पाएं।
सही फॉर्म सेलेक्ट करें
अगर आप जॉब करते हैं तो आपको रिटर्न फाइल के लिए सही फॉर्म जरूर सेलेक्ट करना चाहिए। सैलरीड पर्सन और बिजनेसमैन के लिए आईटीआर फॉर्म अलग होते हैं।
सही डिडक्शन न लें
आईटीआर भरते समय आपको सभी सही जानकारी देनी चाहिए। अपनी पर्सनल डिटेल्स जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट नंबर आदि सभी जानकारी आपको सही तरीके से भरना होगा। अगर गलत जानकारी भरते हैं तो आपका आईटीआर रिजेक्ट हो सकता है।
बैंक अकाउंट प्रीवैलिडेट करें
आयकर विभाग द्वारा बार-बार सभी टैक्सपेयर्स को याद दिलाया जा रहा है कि करदाता अपना बैंक अकाउंट प्रीवैलिडेट करवाएं। अगर बैंक अकाउंट वैलिडेट नहीं होता है तो टैक्स रिफंड बीच में अटक सकता है।
TDS डिटेल्स ध्यान से दें
अगर आईटीआर फॉर्म में दी गई कोई भी जानकारी अलग होती है तो रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है। टैक्सपेयर को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 26 एएस फॉर्म और टीडीएस फॉर्म में दी गई कोई जानकारी में अंतर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा फॉर्म-16 में दी गई जानकारी भी सही होनी चाहिए।
इनकम को न छुपाएं
इनकम टैक्स रिटर्न में फॉर्म-16 की अहम भूमिका होती है। सैलरीड पर्सन को कभी भी अपने इनकम सोर्स को नहीं छुपाना चाहिए। अगर टैक्सपेयर ऐसा करते हैं तो उन्हें आयकर विभाग द्वारा नोटिस या फिर जुर्माना का भुगतान करना पड़ सकता है।
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ई-वेरिफिकेशन करें
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद उसे ई-वेरीफाई करना जरूरी है। अगर टैक्सपेयर्स ऐसा नहीं करता है तो उसका आईटीआर अमान्य माना जाएगा। इसके अलावा ई-वेरीफाई नहीं होने पर टैक्सपेयर्स को टैक्स रिफंड नहीं मिलेगा।
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