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Share Buyback New Rule: 1 अक्टूबर से लागू हो रहे शेयर बायबैक के नए नियम, निवेशकों पर क्या होगा असर?

इस साल बजट 2024 में शेयर बॉयबैक (Share Buyback) के नियमों में भी बदलाव की घोषणा की गई थी। बजट 2024 के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि शेयर बॉयबैक पर नया टैक्स सिस्टम लागू होगा। शेयर बॉयबैक के नए नियम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि नए नियमों से निवेशकों को लाभ होगा या फिर नुकसान।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Thu, 05 Sep 2024 05:37 PM (IST)
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Share Buyback New Rule: निवेशकों को होगा हानि या लाभ
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। बजट 2024 (Budget 2024) के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बताया था कि शेयर बॉयबैक (Share Buyback) पर नया टैक्स सिस्टम (Tax System) लागू होने वाला है। नए नियम (Share Buyback Rules) 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे। नए नियम के तहत अगर कोई निवेशक को शेयर बॉयबैक से फायदा मिलता है तो उसे डिविडेंड (Dividend) माना जाएगा।

अब डिविडेंड के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा। शेयर बायबैक में जितनी राशि शेयरधारक को मिलेगी उसी हिसाब से पूंजीगत लाभ या हानि की गणना की जाएगी।

बजट में हुए था नए नियमों का एलान

इस साल जुलाई में पेश हुए यूनियन बजट (Union Budget 2024) में वित्त मंत्री ने शेयरों की बॉयबैक से हुई इनकम पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। इसके तहत शेयर की पुनर्खरीद से होने वाली आय को लाभांश के रूप में माना जाएगा। इस नए टैक्स सिस्टम के तहत शेयर बायबैक को कंपनी का अतिरिक्त आमदनी आ जाएगा और उस पर टैक्स (Tax on Share Buyback) लगाया जाएगा।

इन नए नियमों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निवेशकों का बोझ बढ़ सकता है और शेयर बायबैक में भी कमी आ सकती है।

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निवेशकों को होगा फायदा या नुकसान

शेयर बायबैक के नए नियम निवेशकों के लिए फायदे और नुकसान दोनों ला सकते हैं। विभावंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ मौर्य ने कहा कि नए नियमों के तहत कंपनियों को बायबैक की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और नियमों का पालन करना होगा। इससे निवेशकों को फायदा होगा क्योंकि उन्हें अधिक स्पष्टता मिलेगी कि कंपनियां किस तरह से बायबैक कर रही हैं और इसका उनके निवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सिद्धार्थ मौर्य ने यह भी बताया कि इन नियमों के कारण कंपनियों को बायबैक की प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है। इससे शेयर की कीमतों पर त्वरित लाभ की संभावना कम हो सकती है, जो उन निवेशकों के लिए नुकसानदेह हो सकता है जो जल्दी मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसके अलावा, कंपनियों पर अनुपालन की अतिरिक्त लागत भी आ सकती है, जो उनके मुनाफे को प्रभावित कर सकती है।

इसका मतलब है कि नए नियम निवेशकों के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा और पारदर्शिता लाएंगे, लेकिन अल्पकालिक निवेश के दृष्टिकोण से कुछ चुनौतियां भी खड़ी कर सकते हैं। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह नियम सकारात्मक साबित हो सकते हैं, जबकि तुरंत लाभ की उम्मीद रखने वाले निवेशकों को थोड़ी परेशानी हो सकती है।

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