ऑफर फॉर सेल प्रक्रिया कैसे पूरी होती है?
ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शेयरों की बिक्री का ही तरीका है। यह पहले से लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटरों को आसानी से शेयर इश्यू करने का रास्ता देता है। यह इश्यू मौजूदा शेयरधारकों के बीच ही जारी होता है। यह कई बार न्यूनतम शेयर इश्यू से जुड़े नियमों के पालन के
ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शेयरों की बिक्री का ही तरीका है। यह पहले से लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटरों को आसानी से शेयर इश्यू करने का रास्ता देता है। यह इश्यू मौजूदा शेयरधारकों के बीच ही जारी होता है। यह कई बार न्यूनतम शेयर इश्यू से जुड़े नियमों के पालन के लिए करना पड़ता है। इसके अलावा बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की 200 सबसे बड़ी कंपनियों को भी ओएफएस की छूट है। खुदरा निवेशकों के अलावा म्यचुअल फंड निवेशक, विदेशी संस्थागत निवेशक, बीमा कंपनियां, कॉरपोरेट, एनआरआइ समेत हर तरह के निवेशकों को यह जारी किया जा सकता है।
सेबी के नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी ओएफएस जारी करना चाहती है उसे इश्यू के दो दिन पहले इसकी सूचना देनी पड़ती है। एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों को भी इसके बारे में अलग से सूचना जारी करनी पड़ती है। एनएसई के वेबसाइट पर भी जानकारी देनी होती है। निवेशक एनएसई के मौजूदा कारोबारी सदस्यों के जरिये ओएफएस प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। निवेशक को उक्त कारोबारी सदस्यों यह जानकारी देनी होगी कि उसे कितने शेयरों की खरीद करनी होती है इसकी जानकारी देनी होती है।