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ITR Filing: आईटीआर फाइल करते समय आपके पास हैं 2 ऑप्शन: कहां बचा पाएंगे ज्यादा टैक्स, यहां पढ़ें डिटेल्स

ITR फाइल करना हर कर दाता के लिए जरूरी है। हर साल की तरह इस साल भी 31 जुलाई 2024 रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख है। अगर इस तारीख के बाद रिटर्न फाइल करते हैं तो पेनल्टी देनी होगी। आईटीआर दाखिल करते समय टैक्सपेयर के सामने दो ऑप्शन होते हैं। ऐसे में वह कन्फ्यूज हो जाते हैं कि किस ऑप्शन को सेलेक्ट करके वह ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Thu, 27 Jun 2024 04:26 PM (IST)
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दोनों Tax Regime में से आपके लिए कौन-सा है बेस्ट
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है। करदाता को 31 जुलाई 2024 तक आईटीआर फाइल करना होगा।

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय टैक्सपेयर्स के पास दो विकल्‍प होते हैं। इन दो विकल्‍पों को लेकर कई करदाता काफी कन्फ्यूज होते हैं कि आखिर किस ऑप्शन के जरिये वह ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं।

जी हां, हम टैक्स रिजीम (Tax Regime) के बारे में बात कर रहे हैं। वर्तमान में करदाता के सामने पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के ऑप्शन मौजूद हैं। इन दोनों ऑप्शन के टैक्स स्लैब में भी काफी अंतर होता है।

ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होती है। वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन दोनों रिजीम में टैक्सपेयर आयकर अधिनियम 87A के तहत टैक्स बचा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि आपके लिए इन दोनों ऑप्शन में से कौन-सा बेस्ट रहेगा।

ओल्ड टैक्स रिजीम में कब देना होता है टैक्स

अगर किसी करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तो उसे 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। दरअसल, पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। यानी बचे हुए 2.5 लाख रुपये का पर 5 फीसदी की दर से टैक्‍स लगेगा जो कि 12,500 रुपये होता है। हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत सरकार इसे माफ कर देती है।

आयकर अधिनियम के 87A के तहत करदाता 5 लाख तक की इनकम पर टैक्स बचा सकते हैं। अब इसमें भी एक ट्विस्ट है। अगर सालाना इनकम 5 लाख रुपये से 1 रुपये भी ज्यादा होती है तब करदाता को पूरे 2.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा और 1 रुपये पर 20 फीसदी का टैक्स देना होगा।

न्यू टैक्स रिजीम में कब देना होता है टैक्स

अब न्यू टैक्स रिजीम की बात करें तो इसमें 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। ऐसे में अगर करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तब 3 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं लगता है और बाकी 2 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा।

इस रिजीम में भी आयकर अधिनियम के 87A धारा के तहत 7.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है।

अब अगर टैक्सपेयर की सैलरी 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है तब उसे 3 लाख रुपये के बाद की इनकम पर टैक्स देना होगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर सालाना इनकम 4,50,001 रुपये है तो 3 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। बाकी बचे 1,50,001 रुपये पर 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा यानी 15,000 रुपये का कर देना होगा।

सैलरीड टैक्सपेयर को दोनों ही टैक्स रिजीम में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी फायदा मिलता है।

कितनी अलग है दोनों टैक्स रिजीम

  • इनकम के दायरे: 1 अप्रैल 2020 को न्यू टैक्स रिजीम का ऑप्शन सामने आया था। न्यू टैक्स रिजीम में भले ही टैक्स फ्री इनकम का दायरा बढ़ा दिया गया था पर इसमें निवेश के जरिए टैक्स सेविंग के विकल्‍प नहीं हैं। वहीं पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स फ्री इनकम का दायरा कम है, लेकिन कई अन्‍य टैक्स बेनिफिट मिलते हैं।
  • टैक्स डिडक्शन:  ओल्ड टैक्स रिजीम में आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा भी कई तरह टैक्स बेनिफिट मिलते हैं। यह टैक्स बेनिफिट न्यू टैक्स रिजीम में नहीं मिलते।
  • टैक्स रिबेट लिमिट: दोनों टैक्स रिजीम में सबसे बड़ा अंतर टैक्स रिबेट का है। पुरानी कर व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है, जबकि नई कर व्यवस्था में इसकी लिमिट 7.5 लाख रुपये है।
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कौन-सी रिजीम है आपके लिए बेस्ट

हमने यह तो समझ लिया कि इन दोनों रिजीम में कैसे टैक्स का भुगतान होता है और इसमें अंतर क्या है। अब बात आती है कि कौन-सा ऑप्शन बेस्ट है। अगर आपकी सैलरी 7.5 लाख रुपये है तो आप न्यू रिजीम को चुन सकते हैं। वहीं, अगर 7.5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम है और आपने निवेश भी किया हुआ है तब आपको ओल्ड टैक्स रिजीम सेलेक्ट करनी चाहिए।

आपको कितना टैक्स देना है इसको लेकर कन्फ्यूज हैं तब आप आयकर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद टैक्स कैलकुलेटर (Tax Calculator) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आप जान पाएंगे कि आपको किस रिजीम में कितना टैक्स देना होगा। आप चाहें तो इसके लिए CA की मदद भी ले सकते हैं।

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