Pink Tax in India मार्केट में सभी वस्तुओं पर टैक्स लगता है। इस टैक्स का भुगतान सभी लोग समान रूप से करते हैं। लेकिन कई लोग यह नहीं जानते हैं कि महिलाओं से एक अलग टैक्स लिया जाता है। इस टैक्स को पिंक टैक्स (Pink Tax) कहते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं पिंक टैक्स बाकी टैक्स से कैसे अलग है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। What is Pink Tax: हम कोई भी सामान खरीदते हैं या फिर किसी रेस्टोरेंट में जाकर डिनर करते हैं तो हम सर्विस टैक्स या फिर बाकी टैक्स का भुगतान करते हैं। हर सामान पर एक तरह से टैक्स लिया जाता है।
लेकिन कई लोग यह नहीं जानते हैं कि एक ऐसा टैक्स भी है जो केवल महिलाओं से लिया जाता है। यह टैक्स केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व के सभी देशों में लगाया जाता है।विश्व में महिलाओं से पिंक टैक्स (
Pink Tax) लिया जाता है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिर पिंक टैक्स क्या होता है और ये टैक्स केवल महिलाओं से ही क्यों लिया जाता है।
क्या है पिंक टैक्स (What is Pink Tax)
पिंक टैक्स को गुलाबी कर भी कहा जाता है। इस टैक्स का डायरेक्ट रिलेशन महिलाओं से होता है। वैसे ये टैक्स कोई अधिकारिक नहीं है। इसका मतलब है कि इस टैक्स को कंपनी या फिर सरकार को देना जरूरी नहीं होता है। यह एक तरह का अतिरिक्त शुल्क होता है। यह टैक्स महिलाओं के सामान पर लिया जाता है।
यही वजह है कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं के प्रोडक्ट महंगे होते हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई एक प्रोडक्ट जैसे ऑयल की बात करें तो पुरुष के ऑयल महिलाओं के ऑयल प्रोडक्ट से सस्ते होंगे। महिलाओं को अपने प्रोडक्ट खरीदने के लिए ज्यादा खर्च करना होता है।
कैसे लिया जाता है पिंक टैक्स
जो प्रोडक्ट महिलाओं के लिए स्पेशली तैयार किये जाते हैं, उस पर पिंक टैक्स लगाया जाता है। यह टैक्स मेकअप के सामान, नेल पेंट, लिपस्टिक, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, सेनिटरी पैड जैसे प्रोडक्ट लगाया जाता है। अगर हम उन प्रोडक्ट की बात करें जो महिला और पुरुष दोनों इस्तेमाल करते हैं। उस प्रोडक्ट पर भी पिंक टैक्स लगता है।
उदाहरण के तौर पर पुरुषों का लिप बाम जहां 70 रुपये में मिलता है वहीं महिलाओं के लिप बाम की कीमत 150 रुपये होती है। इसी तरह कोई कंपनी अगर पुरुषों के डियो का प्राइस 100 रुपये तय करता है तो वहीं कंपनी महिलाओं के डियो की कीमत 100 से ज्यादा रखेगा।आप जब शॉपिंग करेंगे उस वक्त आप इस अंतर को साफ देख पाएंगे। इसमें आप जान पाएंगे कि महिलाएं के प्रोडक्ट और पुरुषों के प्रोडक्ट की कीमत में कितना अंतर है।
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क्यों लिया जाता है पिंक टैक्स
पिंक टैक्स केवल भारतीय महिलाओं से नहीं बल्कि विश्व के सभी महिलाओं से लिया जाता है। वर्ष 2015 में अमेरिका में पिंक टैक्स का पहला मामला देखने को मिला है। कई कंपनियां पिंक टैक्स को लेकर यह कहती है कि महिलाओं के सामानों को बनाने में ज्यादा खर्च होता है। वहीं कुछ लोग तर्क देते हैं कि महिलाएं सामान के लिए ज्यादा पैसे खर्च कर सकती है, इस बात का कंपनी फायदा उठाती है।
कई बार यह भी लॉजिक दिया जाता है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए एक तरह के सामान नहीं बनाए जाते हैं। ऐसे में डिमांड की वजह से भी इनके दाम अलग होते हैं।बता दें कि पिंक टैक्स से सरकार का कोई संबंध नहीं है। इसका मतलब है कि यह टैक्स सरकार को नहीं बल्कि कंपनी को जाता है। कंपनियां दलील देती है कि अगर महिला को कोई सामान पसंद आता है तो वह हाई प्राइस पर भी उस सामान को खरीदती। कंपनी इस तरह के प्रॉफिट कमाने के लिए पिंक टैक्स लगाती है।
पिंक टैक्स से कंपनियों की इनकम कई गुना बढ़ गई हैं। खास तौर पर पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स, और बाकी वूमेन सर्विस पर ज्यादा टैक्स लिया जाता है।
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