पवन हंस के निजीकरण का रास्ता साफ, ओएनजीसी ने दी मंजूरी
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) ने एक महीने के भीतर दूसरी बार देश की जानी मानी और सफल कंपनी पवन हंस से अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हेलीकॉप्टर सेवा देने वाले पीएसयू पवन हंस के निजीकरण का रास्ता साफ हो गया है। सरकारी क्षेत्र की तेल उत्खनन कंपनी ओएनजीसी के निदेशक बोर्ड ने पवन हंस में अपनी समूची 49 फीसद हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर दोबारा मोहर लगा दी है। सरकार इसमें अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी बेचने के लिए पहले ही फैसला कर चुकी है।
ओएनजीसी के बोर्ड ने इससे पहले 29 जून को पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी बेचने का पहले ही फैसला कर चुकी है। इस तरह पवन हंस की पूरी हिस्सेदारी बेची जाएगी। विनिवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कुछ बिंदुओं पर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था। ओएनजीसी से कहा गया था कि वह उन शर्तो को स्वीकार करे, जिन पर सरकारी हिस्सेदारी बेची जा रही है। दो अगस्त को इन शर्तो को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही पवन हंस में सौ फीसद हिस्सेदारी बेचने के लिए संशोधित प्रस्ताव पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।
पवनहंस सरकार और ओएनजीसी का संयुक्त उपक्रम है। बता दें कि पवन हंस में 51 फीसद सरकारी हिस्सेदारी है जिसे पहले से ही बेचने को लेकर बात चल रही है। पवन हंस के पास 46 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार जल्दी ही पवनहंस की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए नई निविदाएं मांगने पर विचार कर रही है। इसकी कीमत छह सौ करोड़ से कहीं अधिक आंकी जा रही है।