Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'Loan 60 दिन बकाया तो बैंक नीलाम कर सकता है घर', तो कैसे बचाएं होम लोन के लिए गिरवी रखी प्रॉपर्टी?

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 07:58 PM (IST)

    होम लोन एग्रीमेंट बेहद जटिल होते हैं। इनमें ऐसी कई शर्तें होती हैं जो भविष्य में आर्थिक बोझ बढ़ा सकती है। नियमों के मुताबिक अगर आपका लोन 60 दिन से ज्यादा बकाया तो बैंक आपके घर को जब्त करके नीलाम करने का भी अधिकार रखता है। ऐसे में आपका यह जानना जरूरी है कि होम लोन के लिए गिरवी रखी प्रॉपर्टी को सुरक्षित कैसे रखें?

    Hero Image
    Loan 60 दिन बकाया तो बैंक को घर नीलाम करने का अधिकार... तो गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कैसे बचाएं?

    नई दिल्ली| ज्यादातर भारतीयों के लिए घर सिर्फ सिर पर छत भर नहीं होता, बल्कि यह स्थिरता, सुरक्षा और सपनों का प्रतीक होता है। पिछले कुछ सालों में हाउसिंग फाइनेंस की पहुंच बढ़ी है और अलग-अलग आय वर्गों के लोग अब अपने घर को गिरवी रखकर लोन लेने लगे हैं। यह कदम उन्हें कम ब्याज दर और लंबी रीपेमेंट अवधि का फायदा देता है। लेकिन इसके साथ एक बड़ा खतरा भी जुड़ा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगर लोन की किस्तें समय पर न भरी गईं, तो वही घर जिसे सिक्योरिटी के तौर पर रखा गया है, बैंक जब्त कर सकता है। ऐसे में अपनी प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखने के लिए सिर्फ उम्मीद काफी नहीं है, बल्कि आर्थिक अनुशासन, नियमों की समझ और ठोस प्लानिंग ज़रूरी है।

    LTV यानी लोन टू वैल्यू कैप्स का सहारा

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जानता है कि प्रॉपर्टी के खिलाफ ज्यादा कर्ज लेना खतरनाक हो सकता है। इसलिए उसने Loan-to-Value (LTV) लिमिट तय की है।

    • 30 लाख तक के लोन पर बैंक प्रॉपर्टी की वैल्यू का 90% तक ही लोन देंगे।
    • 30-75 लाख तक के लोन पर 80% तक।
    • 75 लाख से ज्यादा के लोन पर 75% तक।
    • 10 लाख से कम वाली प्रॉपर्टी को छोड़कर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज इसमें शामिल नहीं होते। 

    मतलब, अगर आपके घर की कीमत 50 लाख है तो आपको अधिकतम 40 लाख तक का लोन मिलेगा, बाकी अपनी जेब से लगाना होगा। यह सिस्टम इसलिए बनाया गया है ताकि अगर प्रॉपर्टी की कीमत घटे या इनकम कम हो जाए, तो परिवार कर्ज के बोझ में न डूबे।

    यह भी पढ़ें- Rent Agreement Rule: साल में 12 महीने, फिर 11 महीने का ही क्यों बनता है एग्रीमेंट? एक्सपर्ट से समझें फायदे वाली बात

    इंटरेस्ट रेट और बेंचमार्क

    लोन की लागत यानी ब्याज दर सबसे अहम है। अक्टूबर 2019 से सभी फ्लोटिंग-रेट होम लोन RBI की रेपो रेट से लिंक कर दिए गए हैं। अगस्त 2025 तक रेपो रेट 5.50% है और बड़े पब्लिक सेक्टर बैंक लगभग 7.5% सालाना ब्याज दर से लोन दे रहे हैं।

    फिक्स्ड-रेट लोन स्थिरता देते हैं, लेकिन महंगे पड़ते हैं। फ्लोटिंग-रेट लोन सस्ते हो सकते हैं, लेकिन पॉलिसी बदलते ही महंगे भी हो सकते हैं। इसलिए बजट बनाते वक्त EMI के साथ-साथ ब्याज दर बढ़ने की स्थिति का भी हिसाब रखना जरूरी है।

    एग्रीमेंट पढ़ना बहुत जरूरी

    होम लोन एग्रीमेंट बेहद जटिल होते हैं। इनमें ऐसी कई शर्तें होती हैं जो भविष्य में आर्थिक बोझ बढ़ा सकती हैं- जैसे फ्लोटिंग लोन पर रीसेट की अवधि, बेंचमार्क से ऊपर लगने वाला स्प्रेड, स्कीम बदलने का शुल्क, लेट पेमेंट पेनल्टी आदि।

    RBI ने बैंकों को यह भी कहा है कि अधूरी बिल्डिंग पर अपफ्रंट डिसबर्सल (upfront disbursal) यानी पूरा लोन पहले से न दें, बल्कि कंस्ट्रक्शन के हिसाब से किस्तों में रिलीज करें। इससे खरीदार बिल्डर की धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

    जिम्मेदारी से कर्ज लेना

    बैंक उम्र, इनकम और क्रेडिट स्कोर देखकर लोन देते हैं, लेकिन असली जिम्मेदारी कर्जदार की है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि EMI आपकी मासिक आय का 30-40% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वरना जरा-सी आमदनी घटने पर भी परेशानी हो सकती है।

    अच्छा क्रेडिट स्कोर (750+) लोन अप्रूवल आसान बनाता है और ब्याज दर भी कम करा सकता है। साथ ही, 2012 से RBI ने फ्लोटिंग-रेट लोन पर प्री-पेमेंट पेनल्टी हटा दी है, यानी आप कभी भी लोन का कुछ हिस्सा चुकाकर ब्याज का बोझ कम कर सकते हैं।

    इंश्योरेंसः सबसे बड़ा सुरक्षा कवच

    हैरानी की बात है कि भारत में 3% से भी कम घर इंश्योर्ड हैं। जबकि बाढ़, आग और चोरी जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए होम इंश्योरेंस को जरूरी समझें। इसके साथ टर्म इंश्योरेंस भी लें, जो लोन की बाकी रकम को कवर करे, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में परिवार पर बोझ न पड़े।

    घर की देखभाल और वैल्यू

    गिरवी रखी प्रॉपर्टी उतनी ही मजबूत होती है जितनी उसकी हालत। अगर घर की देखभाल नहीं की गई तो उसकी मार्केट वैल्यू घट जाएगी और रीफाइनेंसिंग या टॉप-अप लोन लेना मुश्किल हो जाएगा। छोटी-छोटी मरम्मत, सुरक्षा अपग्रेड और समय-समय पर सर्विसिंग से घर की वैल्यू बनी रहती है।

    60 दिन बकाया रहा तो...

    पिछले दशक ने सिखाया है कि महामारी, नौकरी छूटना या बिजनेस में गिरावट जैसी घटनाएं अचानक आ सकती हैं। ऐसे में सलाह दी जाती है कि कम से कम 3 से 6 महीने की EMI के बराबर इमरजेंसी फंड हमेशा रखें।

    साथ ही, SARFAESI Act, 2002 को समझना जरूरी है। अगर लोन 60 दिन तक बकाया रहा तो बैंक को घर जब्त कर नीलाम करने का अधिकार है। इसलिए समय रहते बैंक से बात करके री-स्ट्रक्चरिंग या मोरेटोरियम लेना बेहतर है। चुप रहना सबसे गलत कदम है।

    लोन लेने वालों को आखिरी सीख

    आपका घर आपको ताकत दे, बोझ नहीं। अगर होम लोन सावधानी, दूरदर्शिता और अनुशासन के साथ लिया जाए, तो घर हमेशा सुरक्षा का प्रतीक रहेगा, खतरे का नहीं। 

    - लेखकः अनुज शर्मा, चीफ ऑपरेशन्स ऑफिसर, IMGC (इंडिया मॉर्गेज गारंटी कॉरपोरेशन)