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RBI मौद्रिक नीति समिति की विशेष बैठक आज, महंगाई पर सरकार को सौंपी जाएगी रिपोर्ट, रेपो रेट पर सस्पेंस बरकरार

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति आज अपनी विशेष बैठक में कौन-कौन से फैसले करेगी इसको लेकर निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। सरसरी तौर पर देखें तो यह नहीं लगता कि आरबीआई रेपो दर में एक और बढ़ोतरी का जोखिम उठाएगा।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 09:09 AM (IST)
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RBI Monetary Policy Meeting to discuss first inflation report
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) गुरुवार को अपनी निर्धारित बैठकों से इतर एक विशेष बैठक करेगी। इस विशेष बैठक में रेपो रेट में चार बार बढ़ोतरी के बाद भी मुद्रास्फीति के काबू में न आने के कारणों की चर्चा की जाएगी। साथ ही इस बैठक के बाद मौद्रिक नीति समिति सरकार को एक पत्र लिखकर महंगाई के काबू में न आने के कारणों की जानकारी देगी।

केंद्रीय बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति को 2 से 6 फीसद के भीतर रखना है। मध्यम अवधि के सामान्य लक्ष्य की बात करें तो आरबीआई का स्टैंडर्ड टारगेट 4 फीसद है, जिसमें 2 फीसद बढ़ोतरी या कमी की गुंजाइश रखी गई है।

क्यों हो रही है बैठक

आरबीआई के नियम कहते हैं कि यदि मुद्रास्फीति लक्ष्य लगातार तीन तिमाहियों तक पूरा नहीं होता है तो केंद्रीय बैंक सरकार को एक रिपोर्ट देता है, जिसमें इस बात का जिक्र होता है कि मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने में विफलता के कारण क्या हैं, क्या कार्रवाई की गई और उनका असर कितना हुआ है। आरबीआई को एक अनुमानित समय सीमा भी बतानी पड़ेगी कि वह कब तक मुदास्फीति को नियंत्रित कर सकता है।

एमपीसी की 2016 में स्थापना के बाद पहली बार विशेष बैठक हो रही है, क्योंकि समिति लगातार तीन तिमाहियों के लिए 2-6% बैंड के भीतर खुदरा मुद्रास्फीति को रखने में विफल रही है। खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से 6% से ऊपर बनी हुई है और सितंबर में खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण सितंबर में बढ़कर 7.41% के पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

लक्ष्य से चूकने के लिए RBI क्या कारण दे सकता है

बीओएम के पूर्व अर्थशास्त्री जतिन सालगवकर का मानना है कि आरबीआई ने अपनी तरफ से कोशिश ईमानदार की है, लेकिन दुर्भाग्य से महंगाई कम नहीं हुई है। इसके लिए बहुत-सी चीजें जिम्मेदार हैं। केंद्रीय बैंक रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे बाहरी कारणों, आपूर्ति की चिंताओं (जिससे कमोडिटी की कीमतों में तेजी आई) आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और COVID-19 महामारी से उपजी दीर्घकालिक परिस्थितियों का हवाला दे सकता है।

मुद्रास्फीति को लक्ष्य पर लाने के लिए आरबीआई क्या समय-सीमा देगा

आरबीआई को उम्मीद है कि दो साल की अवधि में मुद्रास्फीति गिरकर 4% हो जाएगी। गवर्नर शक्तिकांत दास कई बार इसकी उम्मीद जता चुके हैं।

निवेशकों के लिए कितनी अहम है बैठक

बाजार इन दिनों अनिश्चित हैं। उन पर यूएस फेड रेट हाइक का दबाव पहले से है। वे समय-सीमा पर कुछ स्पष्टता चाहते हैं। अगर आरबीआई मुद्रास्फीति को सहनीय बैंड के भीतर लाने की डेडलाइन बताता है तो निश्चित रूप से बाजार को कुछ सकारात्मक उम्मीद मिल सकती है।

मई के बाद से 190 आधार अंकों की दरों में बढ़ोतरी के बाद, निवेशक यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आरबीआई मौद्रिक नीति को और कितना कड़ा कर सकता है।

क्या दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश है?

जानकार मानते हैं कि फिलहाल आरबीआई एमपीसी की इस बैठक में रेपो रेट हाइक से संबंधित किसी फैसले की उम्मीद नहीं है। लेकिन इसको पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। चर्चा है कि आरबीआई अपनी दरों में वृद्धि भी कर सकता है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा है कि 3 नवंबर 2022 को होने वाली बैठक एक नियामकीय दायित्व का एक हिस्सा भर है।

यूएस फेड रेट हाइक का क्या होगा असर

यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में 75-बेस-पॉइंट की वृद्धि के बाद दुनिया भर के बाजार और केंद्रीय बैंक इस ट्रेंड को फॉलो कर सकते हैं। ब्‍याज दरें बढ़ने से अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर सुस्‍त हो जाती है। इससे मंदी की आशंकाओं को और बल मिलता है। यूएस फेड के फैसले को देखते हुए यूरोप सहित तमाम एशियाई देश भी अपनी ब्‍याज दरें बढ़ाने लगते हैं। जिससे उन देशों की विकास दर पर भी असर पड़ेगा।

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