बैंकों की मनमानी पर लगेगी रोक? कर्ज न चुकाने पर पेनल्टी से मिल सकता है छुटकारा, RBI के मसौदे से किसका फायदा?
अगर आरबीआई का ये सुझाव मान लिया जाता है तो जल्द ही बैंकों और एनबीएफसी की मनमानी पर रोक लग सकती है। अभी ये प्रस्ताव विचार के स्तर पर है। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो कर्जदारों को बहुत लाभ होगा।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Fri, 14 Apr 2023 09:23 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लोन न चुका पाने पर लगाई जाने वाले पेनल्टी से ग्राहकों को निजात दिलाने के लिए इन्हें खत्म करने का प्रस्ताव किया है। RBI ने कहा है कि बैंकों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त ब्याज पर रोक लगाने का प्रस्ताव ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।
आरबीआई ने 'फेयर लेंडिंग प्रैक्टिस - लोन अकाउंट्स पेनल चार्जेस' पर अपने ड्राफ्ट सर्कुलर में कहा है कि पेनल्टी चार्ज की मात्रा डिफॉल्ट/लोन कॉन्ट्रैक्ट के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के गैर-अनुपालन के समानुपाती होनी चाहिए।
क्या है इसका मतलब
रिजर्व बैंक ने बुधवार को विनियमित संस्थाओं (आरई) को ब्याज पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में उचित और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए। दिशा-निर्देशों के तहत ऋण देने वाली संस्थाओं को ब्याज न चुका पाने पर पेनल्टी लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की स्वायत्तता है।
हालांकि, कई आरबीआई विनियमित संस्थाएं (आरई) शर्तों का अनादर होने और उनका पालन न करने के मामले में लागू ब्याज दरों के अलावा कुछ दंडात्मक शुल्क का उपयोग करती हैं। ये उन शर्तों का उपयोग करती हैं, जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं।
क्या होगा इस बदलाव का असर
आरबीआई ने कहा कि दंडात्मक ब्याज/प्रभार लगाने का इरादा ग्राहकों या लेनदारों को टॉर्चर करना नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया है कि कर्ज लेने वालों को समय पर लोन चुकाने के लिए प्रेरित किए जा सके। इससे उनके अंदर एक अनुशासन की भावना पैदा होगी और वे समय पर अपना लोन भरेंगे।
इससे ये भी ये सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बैंकों को भी कुछ अतिरिक्त फायदा हो सके। आरबीआई ने कहा है कि इसे बैंकों के लिए कमाई का जरिया नहीं बनना चाहिए। केंद्रीय बैंक ने पाया कि दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने के संबंध में आरई के बीच अलग-अलग प्रथाएं चल रही हैं, जिसके कारण ग्राहकों की शिकायतें और विवाद हैं।