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Income Tax Return (ITR) Explained: क्यों भरा जाता है आईटीआर, आपके लिए कौन-सा फॉर्म होगा सही

Types Of ITR Form And How To File It भारत में कुल सात तरह के आईटीआर फॉर्म होते हैं जिसे अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इसलिए आज हम आपको इसकी फाइलिंग से जुड़ी सारी डिटेल बताने जा रहे हैं। (जागरण फोटो)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Tue, 21 Feb 2023 04:43 PM (IST)
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Types of Income Tax Return Form, Know Why And How To File It
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भरे जाने वाले इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR Form) को आयकर विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। ये फॉर्म 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होंगे और अगर आप इनकम टैक्स स्लैब के तहत आते हैं तो आपके लिए इन्हें भरना जरूरी है।

भारत में कुल सात तरह के आईटीआर फॉर्म भरे जाते हैं, जिनमें ITR-1 से लेकर ITR-7 तक के फॉर्म होते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि आपके लिए कौन-सा फॉर्म सही होगा, जिसमें आप अपने रिटर्न को भर सकते हैं। हम आपको बताते हैं कि कितने तरह के आईटीआर फॉर्म होते हैं (Types of Income Tax Return) और आपको कौन-सा फॉर्म भरना होगा। साथ ही जीरो आईटीआर फॉर्म ( Zero ITR) कौन फाइल कर सकता है। 

क्या होता है ITR?

ITR फॉर्म भरे जाने से पहले ये समझ लेना जरूरी है कि ITR क्या होते हैं (What Is ITR?) और इन्हें क्यों भरा जाना चाहिए। इनकम टैक्स रिटर्न या ITR एक ऐसा फॉर्म है, जिसमें एक व्यक्ति अपने एक साल की इनकम और भुगतान किए जाने वाले टैक्स के बारे में जानकारी देता है। आमतौर पर ये अवधि एक अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होती है।

साल 2023-24 के लिए पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से ऊपर है या नए टैक्स स्लैब के मुताबिक 3.5 लाख रुपये से ऊपर है तो उसे ITR जरूर फाइल करना चाहिए। हालांकि, जीरो आईटीआर भी भरा जा सकता है।

जीरो ITR से क्या समझते हैं?

इनकम टैक्स रिटर्न केवल उन व्यक्तियों के लिए ही नहीं है, जो इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं। सामान्य आईटीआर के अलावा जीरो आईटीआर फॉर्म भी एक तरह का आईटीआर रिटर्न होता, जिसे निल इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग (Nil Income Tax Return) भी कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए टैक्स स्लैब से बाहर होता है और फिर भी टैक्स रिटर्न फॉर्म भरता है तो इसे जीरो ITR फाइलिंग माना जाता है। आयकर अधिनियम के अनुसार, कम आय वाले व्यक्तियों के लिए ITR फाइलिंग अनिवार्य नहीं है।

क्यों भरा जाता है ITR Form?

आसान भाषा में कहें तो अगर आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से रिफंड क्लेम करना चाहते हैं तो आपको ITR फॉर्म फाइल करने की जरूरत होती है। इनकम टैक्स रिटर्न एक फॉर्म है, जो टैक्सिंग अथॉरिटी के पास फाइल किया जाता है। यह आय, व्यय और उससे जुड़े टैक्स की जानकारी डिपार्टमेंट को देता है। इसके आलवा, अगर आप लोन या वीजा के लिए अप्लाई करना चाहते है या विदेश में निवेश करना चाहते हैं, तो इस तरह के कई कामों के लिए इस फॉर्म की जरूरत होती है।

कितने तरह के होते हैं ITR फॉर्म ?

ITR फॉर्म मुख्य रूप से सात तरह के होते हैं। इनमें ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 शामिल हैं।

ITR-1: अगर कोई वेतनभोगी कर्मचारी है, जिसकी इनकम सैलरी, प्रॉपर्टी, किराए, पेंशन, ब्याज या कृषि (5,000 तक की इनकम) से होती है, तो वह ITR-1 फॉर्म भरता है। इसे सहज फॉर्म (SAHAJ Form) भी कहा जाता है। हालांकि, इसमें व्यक्ति की कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

ITR-2: यह फॉर्म आमतौर पर उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) द्वारा भरा जाता है, जिन्होंने संपत्ति या संपत्ति की बिक्री के माध्यम से आय अर्जित की है। इसमें आने वाले टैक्सपेयर की कुल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक होती है और कृषि द्वारा इनकम भी 5,000 रुपये से ज्यादा होती है।

ITR-3: इस फॉर्म को उन व्यक्तिगत टैक्सपेयर और HUF द्वारा चुना जाना चाहिए जो किसी पेशे या किसी व्यवसाय के मालिक होने से आय अर्जित करते हैं। वो टैक्सपेयर, जिनकी इनकम किसी अनलिस्टिड शेयर में निवेश से हुई है, किसी कंपनी के पार्टनर है, किसी कंपनी के डायरेक्टर है या व्यवसाय पेंशन का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से अधिक है, इस फॉर्म को फाइल करते हैं।

ITR-4: व्यक्ति, HUF और पार्टनरशिप फर्म जो भारत के निवासी हैं, किसी व्यवसाय या पेशे (डॉक्टर, वकील आदि) से आय अर्जित करते हैं; उन्हें आईटीआर-4 का चयन करना होगा। इसे सुगम फॉर्म (SUGAM Form) भी कहा जाता है। इसमें अर्जित आय पर कोई सीमा नहीं है।

ITR-5: आइटीआर-5 फॉर्म संस्थाओं के लिए होता है। वैसे संस्थान जिन्होंने खुद को फर्म, LLPs, AOPs, BOIs के रूप में रजिस्टर्ड करा रखा है, आइटीआर-5 फॉर्म भरना होता है।

ITR-6: ITR-6 किसी भी कंपनी के लिए है जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 से संबंधित छूट का दावा नहीं कर रही है। इस धारा के तहत आयकर रिटर्न दाखिल करने वाली फर्म इसे केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से भर सकती हैं।

ITR-7: यह फॉर्म राजनीतिक दल, ज्ञानिक अनुसंधान संघ, अस्पताल, चिकित्सा संस्थान, विश्वविद्यालय, कोष, समाचार एजेंसियां और अन्य शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज या विश्वविद्यालय या व्यावसायिक ट्रस्ट द्वारा फाइल किया जाता है।

इस तरह से भर सकते हैं फॉर्म

इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म भरने के लिए कुछ आसान स्टेप्स को फॉलो करना होता है।

आइटीआर को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से भरा जा सकता है।

  • ऑनलाइन रिटर्न भरने के लिए सबसे पहले incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
  • पहली बार टैक्स भर रहे लोगों को इसमें खुद को रजिस्टर करना होगा।
  • इसके बाद आप ऑनलाइन टैक्स भर सकते हैं।
  • आपके PAN नंबर के आधार पर यूजर आईडी जनरेट कर दी जाती है।
  •  इसके बाद आइटीआर की ऑनलाइन फाइलिंग की जा सकती है। इसमें सात स्टेज में फाइलिंग करनी होती है।
a) सामान्य निर्देश

b)आमदनी की जानकारी

c) छूट का विवरण

d) इनकम टैक्स का कैलकुलेशन

e) टीडीएस और अन्य चुकाए गए टैक्स की जानकारी

f) बैंक का विवरण

g) वेरिफिकेशन

  • इस प्रक्रिया के बाद आपकी आइटीआर फाइल हो जाएगी। यदि जरूरत पड़े तो किसी एक्सपर्ट से भी मदद भी ली जा सकती है।

Income Tax Refund को समझना भी जरूरी

बहुत बार ऐसा होता है कि टैक्सपेयर वित्तीय वर्ष (FY) में अपने अंतिम निर्धारित टैक्स से अधिक कर का भुगतान करता है। इस स्थिति में आयकर रिफंड (Income Tax Refund) मिलता है। आसान भाषा में कहें तो इनकम टैक्स रिफंड आपके द्वारा भुगतान किया गया अतिरिक्त टैक्स है, जिसे आयकर विभाग द्वारा वापस कर दिया जाता है। तय समय-सीमा में अपना आइटीआर दाखिल करने वाले टैक्सपेयर को इस रिफंड पर ब्याज भी मिलता है।

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