Gratuity Calculation Formula : कैसे होता है ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन, इसके लिए कितने साल नौकरी करना है जरूरी?
Gratuity Rules ग्रेच्युटी कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर का एक अहम हिस्सा होती है। इसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों योगदान करते हैं। हालांकि कंपनी की हिस्सेदारी कर्मचारी के मुकाबले अधिक होती है। ग्रेच्युटी पाने के लिए आपको कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी मिलने का क्या नियम है और यह कैलकुलेट कैसे की जाती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने कर्मचारियों के रिटायरमेंट को बेहतर करने के लिए कई प्रावधान कर रखे हैं। इन्हीं में से एक है, ग्रेच्युटी (Gratuity)। एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) की तरह ग्रेच्युटी में भी कर्मचारी और कंपनी का योगदान होता है। लेकिन, EPF के उलट यहां कर्मचारी के वेतन से मामूली हिस्सा कटता है और कंपनी इसका बड़ा बोझ उठाती है।
आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी क्या होती है, यह कब मिलती है और इसका कैलकुलेशन कैसे होता है।
ग्रेच्युटी (Gratuity) क्या होती है?
ग्रेच्युटी एक तरह से कंपनी से वफादारी का इनाम होता है। अगर आप एक ही कंपनी में 5 या इससे अधिक साल तक लगातार काम करते हैं, तो आप ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते हैं। हालांकि, 5 साल की सेवा अवधि को कम करके एक साल तक करने की बात कही जा रही है। केंद्र के न्यू वेज कोड में इस पर चर्चा हुई है और इसके लागू होने पर करोड़ों कर्मचारियों को फायदा होगा।ग्रेच्युटी कब मिलती है?
ग्रेच्युटी आमतौर पर रिटायरमेंट के मिलती है। लेकिन, अगर पांच साल बाद नौकरी छोड़ते या बदलते हैं, तो भी ग्रेच्युटी मिल जाएगी। अगर सर्विस के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होती है या फिर वह दिव्यांग होता है, तो पांच साल कम सेवा पर भी ग्रेच्युटी मिल जाती है।अगर आपने नौकरी के दौरान संस्थान की किसी प्रॉपर्टी का नुकसान किया है, तो उसकी भरपाई भी आपकी ग्रेच्युटी से की जा सकती है।