VPF : अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं तो वीपीएफ में करें निवेश, मिलता है पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं से अधिक ब्याज
Voluntary retirement fund (VPF) वास्तव में ईपीएफ ही है लेकिन यह कर्मचारी को अपने रिटायरमेंट फंड के लिए अधिक राशि का योगदान करने की अनुमति प्रदान करता है। वीपीएफ में ब्याज दर (Interest Rate) ईपीएफ के समान ही होती है।
By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Thu, 20 May 2021 07:54 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वेतनभोगी कर्मचारियों में बचत की आदत होना बहुत महत्वपूर्ण है। यह आदत ना सिर्फ उनके बड़े खर्चों को पूरा करती है, बल्कि इससे रिटायरमेंट फंड भी बन सकता है। वेतनभोगी कर्मचारियों के पास इसके लिए कई सारे निवेश विकल्प है। लेकिन जब आप अपनी जमा पर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, तो स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) काफी बेहतर साबित हो सकता है।
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान देने वाले वेतनभोगी कर्मचारी को हर महीने अपने बेसिक वेतन का 12 फीसद हिस्सा पीएफ खाते (PF Account) में जमा कराना होता है और इतनी ही राशि नियोक्ता द्वारा जमा करायी जाती है। VPF एक तरह से ईपीएफ का विस्तार ही है, जिसमें कर्मचारी अपने पीएफ खाते में अपने बेसिक वेतन के 12 फीसद से अधिक राशि स्वेच्छा से जमा करा सकते हैं। ईपीएफ में कर्मचारी अपने PF अकाउंट में बेसिक वेतन की 12 फीसद राशि ही जमा करा सकते हैं।
Voluntary retirement fund (VPF) वास्तव में ईपीएफ ही है, लेकिन यह कर्मचारी को अपने रिटायरमेंट फंड के लिए अधिक राशि का योगदान करने की अनुमति प्रदान करता है। वीपीएफ में ब्याज दर (Interest Rate) ईपीएफ के समान ही होती है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ईपीएफ की ब्याज दर को 8.5 फीसद पर बरकरार रखा गया है। यह ब्याज दर स्माल सेविंग्स स्कीम्स (Small Savings Schemes) द्वारा प्रदान की जारी ब्याज दर से काफी अधिक है। यही कारण है कि एक्सपर्ट्स निवेशकों से वीपीएफ में निवेश करने की सलाह देते हैं।
EPFO के नियमों के अनुसार, नियोक्ता को वीपीएफ के मामले में कर्मचारी की बेसिक सैलरी के 12 फीसद से अधिक राशि का योगदान करने की आवश्यकता नहीं है। वीपीएफ योगदान पर मिलने वाला कर लाभ ईपीएफ के समान ही है। साथ ही जमा हुए फंड या निकासी पर कोई कर देय नहीं है।हालांकि, बजट 2021-22 में आए ताजा प्रस्ताव के बाद सालाना योगदान पर बने ब्याज पर एक सीमा के बाद टैक्स लगता है। एक अप्रैल, 2021 से वीपीएफ पर अर्जित ब्याज पर 2.5 लाख प्रति वर्ष की सीमा के बाद Tax लगेगा। साथ ही, अगर अगर नियोक्ता द्वारा ईपीएफ खाते में कोई योगदान नहीं किया गया है, (आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों के मामले में) तो एक वित्त वर्ष में पांच लाख तक की जमा के लिए ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।