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Voluntary Provident Fund है फायदे का सौदा, जानिए क्यों करना चाहिए इसमें निवेश

Voluntary Provident Fund (VPF) नौकरीपेशा व्यक्ति ईपीएफओ में निवेश करते हैं। इसमें उन्हें सुरक्षा के साथ उच्च ब्याज दर का लाभ मिलता है। ईपीएफओ में वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड का भी लाभ मिलता है। यह निवेश के लिए बेहतर ऑप्शन है। आइए जानते हैं कि वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड के लाभ क्या है और इसमें क्यों निवेश करना चाहिए? (जागरण फाइल फोटो)

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Mon, 16 Oct 2023 08:30 AM (IST)
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Voluntary Provident Fund है फायदे का सौदा
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। किसी ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों अपनी सैलरी का एक फिक्स्ड अमाउंट ईपीएफ में जमा करते हैं। यह एक तरह का निवेश है। इसमें सरकार द्वारा ब्याज का लाभ दिया जाता है। कर्मचारी के रिटायरमेंट होने के बाद वह इस फंड की राशि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस फंड में कर्मचारी के साथ एम्प्लॉयर भी योगदान देते हैं।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 में इस फंड में मिलने वाले ब्याज दर को 8.15 फीसदी निर्धारित किया गया है। क्या आप जानते हैं कि ईपीएफओ में कर्मचारी को वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund - VPF) का लाभ भी मिलता है। यह भी निवेश के लिए काफी अच्छा ऑप्शन है। वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड में आपका निवेश भी सुरक्षित रहता है और हाई रिटर्न भी मिलता है। इसलिए वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड फायदे का सौदा है। आइए, जानते हैं वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड के लाभ क्या है?

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वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड के फायदे

इस फंड में आपको सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। अगर आप पीएफ अकाउंट में अपना योगदान बढ़ाते हैं तो आपको 8.15 फीसदी का इंटरेस्ट रेट मिलता है। इसमें आपको एफडी से ज्यादा ब्याज का लाभ मिलता है।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड में निवेश करने की कोई लिमिट नहीं है। आपको वीपीएफ में कम से कम 5 साल निवेश करना होता है।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड का लॉक इन पीरियड 5 साल का है। इस फंड से अगर आप 5 साल के बाद पैसे विड्रॉ करते हैं तो आपको कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना होता है। इसका मतलब है कि इसमें आपको टैक्स बेनिफिट का भी लाभ मिलता है। इसके अलावा आप इसमें आयकर अधिनियम 1961 के 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।  

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड में निवेश कैसे करें

अगर आप वीपीएफ में निवेश करना चाहते हैं तो आपको अपनी कंपनी को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके बाद आपको अपने पीएफ अमाउंट की राशि को बढ़ाना होगा। कंपनी के  HR की मदद से आप ईपीएफ अकाउंट के साथ वीपीएफ अकाउंट भी ओपन कर सकते हैं। वीपीएफ अकाउंट ओपन होने के बाद आपकी सैलरी से वीपीएफ अकाउंट से पैसे डिडक्ट होना शुरू हो जाएंगे। 

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