Move to Jagran APP

Aadhaar Card में अब बिना इस डॉक्यूमेंट के नहीं अपडेट हो पाएगा एड्रेस, जानें नियम

UIDAI Aadhaar Card में विभिन्न तरह के विवरण को अपडेट करने की फैसिलिटी देता है। प्राधिकरण की अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लेकिन अब Address Validation Letter के जरिए एड्रेस अपडेट कराने की सुविधा अगले आदेश तक के लिए बंद कर दी गई है।

By Ankit KumarEdited By: Updated: Tue, 17 Aug 2021 07:37 AM (IST)
Hero Image
Aadhaar हर भारतीय का महत्वपूर्ण बन चुका है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Aadhaar Card की जरूरत आज के समय में लगभग हर जरूरी काम के लिए पड़ती है। उदाहरण के लिए अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न भरने जा रहे हैं, मोबाइल के लिए नया सिम कार्ड लेने जा रहे हैं या फिर बैंक में अकाउंट खुलवाने जा रहे हैं तो आपको 12 अंक की पहचान संख्या Aadhaar की जरूरत पड़ती है। यही वजह है आधार कार्ड में हर विवरण का अपडेटेड होना काफी महत्वपूर्ण होता है, खासकर एड्रेस। हालांकि, आधार नंबर जारी करने वाले संगठन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने हाल में Aadhaar Card में एड्रेस अपडेट करने से जुड़े नियम में बदलाव किया है।

नए नियम को जानिए

दरअसल, UIDAI ने Address Validation Letter के माध्य से Aadhaar Card में एड्रेस अपडेट कराने की फैसिलिटी को बंद कर दिया है। इस फैसिलिटी के जरिए ऐसे Aadhaar Card Holders अपना एड्रेस अपडेट करा पाते थे, जिनके पास उस पते का कोई वैलिड एड्रेस प्रूफ नहीं होता था। यह अपने पैतृक शहर से दूर दूसरे शहर में किराये पर रह रहे लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण सर्विस थी।

UIDAI की वेबसाइट से हट गया है यह ऑप्शन

UIDAI, Aadhaar Card में विभिन्न तरह के विवरण को अपडेट करने की फैसिलिटी देता है। प्राधिकरण की अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लेकिन अब Address Validation Letter के जरिए एड्रेस अपडेट कराने की सुविधा अगले आदेश तक के लिए बंद कर दी गई है। 'दैनिक जागरण' ने जब इस बाबत ट्विटर के माध्यम से UIDAI से सम्पर्क किया तो UIDAI ने कहा, ''प्रिय रेजिडेंट, एड्रेस वैलिडेशन लेटर की सुविधा को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है। आप अन्य वैलिड एड्रेस प्रूफ के इस लिस्ट (https://uidai.gov.in/images/commdoc/valid_documents_list.pdf) में से किसी भी एक एड्रेस प्रूफ के जरिए अपना एड्रेस अपडेट करा सकते हैं।''

इसी बीच Aadhaar Office Bengaluru ने एक ट्वीट कर कहा है, ''कंपनियों, स्कूल, कॉलेजों और विभागों जैसे संगठनों को रेजिडेंट्स के आधार नंबर, एड्रेस, फोन नंबर इत्यादि जैसे विवरण को सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखाना चाहिए। वेबसाइट, सोशल मीडिया, नोटिस बोर्ड इत्यादि पर इसे खुले तौर पर दिखाना दंडनीय अपराध है।''