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जल्द शुरू होगा रुपये में सीमापार व्यापार, डिजिटल करेंसी पर सावधानी से आगे बढ़ रहा आरबीआई: शक्तिकांत दास

Trade Settlement in Rupee आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि जल्द ही पड़ोसी देशों से रुपये में व्यापार शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल करेंसी का दायरा बढ़ाने के लिए आरबीआई लगातार कोशिश कर रहा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Fri, 06 Jan 2023 02:40 PM (IST)
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Govt and RBI in discussion with South Asian countries for cross border trade in Rupee Says RBI Governor Shaktikanta Das
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि सरकार और RBI रुपये में सीमा पार व्यापार करने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के साथ चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) परीक्षण के चरण में है और RBI डिजिटल रुपये के मुद्दे पर बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है।

आपको बता दें कि नवंबर में होलसेल पायलट के सफल लॉन्च के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल 1 दिसंबर को अपना रिटेल CBDC पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया।

दक्षिण एशियाई देशों के साथ हो रही बातचीत

आईएमएफ सम्मेलन में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2022-23 के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अंतर-क्षेत्रीय व्यापार, विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ा सकता है। इससे वैश्विक व्यापार का दृष्टिकोण मजबूत होगा। केंद्रीय बैंक अन्य देशों के साथ सहयोग के लिए सरकार के संपर्क में है। सीमा पार व्यापार और सीबीडीसी आदि मुद्दों पर आरबीआई पहले ही आगे बढ़ चुका है।

ये हैं भारत की प्राथमिकताएं

गवर्नर ने कोविड, मुद्रास्फीति, वित्तीय बाजार में सख्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सामने छह नीतिगत प्राथमिकताओं को रेखांकित किया। दास ने कहा कि कई बाहरी झटकों ने दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डाला है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक दरों का नियमन, व्यापार नीति और प्रशासनिक उपाय अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रमुख साधन बन गए हैं।

इन बातों का रखना होगा ध्यान

दास ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में हालिया नरमी और आपूर्ति पक्ष की बाधाओं से आगे निकलकर मुद्रास्फीति को कम किया जाना चाहिए। अगर मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रहती है तो विकास और निवेश के दृष्टिकोण में जोखिम बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देना दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

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