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ऑनलाइन फ्रॉड से निपटने में खर्च होंगे अरबों-खरबों रुपये, आधे से अधिक धोखाधड़ी के मामले UPI लेनदेन से

धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकथाम का बाजार 37 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट के साथ चार साल से भी कम समय में 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा जो 2022 के 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कहीं अधिक है।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Tue, 16 May 2023 07:50 PM (IST)
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Digital fraud in India drives businesses to invest USD 7.6 bn to curb fraudsters
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: हर सिक्के के दो पहलू की तरह जैसे-जैसे चीजों को आसान बनाने के लिए डिजिटलीकरण और ऑनलाइन का सहारा लिया जा रहा है वैसे-वैसे ही डिजिटल धोखाधड़ी भी बढ़ रही है।

डिजिटल धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने और आधुनिक धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकथाम के तरीकों में निवेश करने के लिए भारत में व्यवसायों के बीच अभी से लेकर 2027 के बीच 400 प्रतिशत तक बढ़ने वाली है।

चार साल में 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचेगा सीएजीआर

एक अध्ययन के अनुसार, ऑनलाइन धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकथाम का बाजार 37 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) के साथ चार साल से भी कम समय में 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो 2022 के 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कहीं अधिक है।

UPI से सबसे ज्यादा धोखाधड़ी

देश में डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी मामले में रिपोर्ट किए गए मामलों के अनुसार 55 प्रतिशत धोखाधड़ी का मामला यूपीआई से संबंधित है। ये हमले छोटे आकार (10,000 रुपये से कम) के हैं। वहीं खाते से संबंधित धोखाधड़ी के हमले - जैसे खाता टेकओवर (एटीओ) और नकली खाता पंजीकरण - भारत में होने वाली समग्र धोखाधड़ी गतिविधि के काफी पॉपुलर प्रकार है।

जालसाज अच्छी तरह संगठित- स्टडी

रिपोर्ट के मुताबिक ग्राहक यात्रा सत्यापन और सुरक्षा और ग्राहक अनुभव (सीएक्स) के बीच संतुलन कायम करना इन खाता-संबंधित धोखाधड़ी प्रकारों का पता लगाने में व्यवसायों के सामने आने वाली शीर्ष चुनौतियां हैं। अध्ययन में कहा गया है कि जालसाज समुदाय अच्छी तरह से संगठित है।

डार्क वेब और टेलीग्राम फ़ोरम हाउस मार्केटप्लेस पर लोग "प्लग एंड प्ले" धोखाधड़ी तकनीक खरीद सकते हैं, इस तरह के हमलों को कैसे अंजाम दें, इस पर ट्यूटोरियल की पेशकश की जाती है और किन कंपनियों को लक्षित करना है, इसके बारे में जानकारी साझा की जाती है। 

सरकार का कदम

स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार इन धोखाधड़ी के मामले में सख्ती बरते हुए डिजिटल सेगमेंट में कठोर केवाईसी प्रक्रियाएं, रियल-मनी गेमिंग सेक्टर के लिए नए नियम लेकर आई है। साथ ही साथ सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि व्यवसाय स्वयं और उनके उपभोक्ताओं की रक्षा करें।

प्रैक्सिस के सहयोग से हुआ सर्वेक्षण

बयान के अनुसार, ब्यूरो ने धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकथाम (एफडीपी) के बढ़ते महत्व को देखते हुए वैश्विक स्तर पर, विशेष रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया (एसईए) में डिजिटल धोखाधड़ी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान और परामर्श फर्म, प्रैक्सिस के सहयोग से सर्वेक्षण किया।

(समाचार एजेंसी ANI के इनपुट के हवाले से खबर)