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भारतीय बाजारों को लेकर विदेशी निवेशकों का नरम रुख, पिछले साल के मुकाबले 11 प्रतिशत घटी हिस्सेदारी

FPI Outflow Data विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई की हिस्सेदारी में कमी देखने को मिली है। यह पिछले साल के मुकाबले 17.8 प्रतिशत से गिरकर 17.3 प्रतिशत पर आ गई है। (जागरण - फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Wed, 17 May 2023 04:33 PM (IST)
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FPI Outflow Data: Foreign portfolio investment Slip below 17.5 pc
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से किया गया निवेश वित्त वर्ष 2022-23 की मार्च तिमाही में 542 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इसमें करीब 11 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट मुख्य कारण पिछले साल हुई एफपीआई की बिक्री को बताया जा रहा है।

मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई की ओर से किया गया निवेश जनवरी-मार्च 2021-22 में 612 अरब डॉलर पर था।

इस तिमाही में सबसे ज्यादा आई कमी

जानकारी के मुताबिक, 2022-23 के अक्टूबर से दिसंबर के बीच तिमाही आधार पर एफपीआई के इक्विटी निवेश में 7 प्रतिशत की सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई थी।

एफपीआई की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी पिछले साल के मुकाबले 17.8 प्रतिशत से गिरकर मार्च 2023 में 17.3 प्रतिशत पर आ गई है।

भारतीय बाजारों में एफपीआई की बिकवाली

डिपॉजिटरीज की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में बाजारों में एफपीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में 1.4 लाख करोड़, वित्त वर्ष 2022-23 में 37,632 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी।

इससे पहले एफपीआई 2020-21 में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ और 2019 -20 में 6,152 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई है।

FPI की बिकवाली का कारण 

भारतीय बाजारों में एफपीआई की गई बिकावाली के कई कारण रहे हैं। 2020-21 में कोरोना के कारण विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की गई थी। 2021-22 में कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बिकवाली हुई थी। फिर 2022-23 में महंगाई के कारण एफपीआई की ओर बिकावली की गई थी। हालांकि, मार्च और अप्रैल 2023 में एफपीआई की ओर से किए जाने वाले निवेश का आंकड़ा सकारात्मक रहा था। 

(एजेंसी इनपुट के साथ)