भारत में जल्द दिखेगा सिंगापुर जैसा चमकदार पोर्ट, सरकार ने मंगाई बोलियां, जानिए क्या है पूरा प्लान
Great Nicobar Island Port को सरकार पीपीपी मॉडल के तहत विकसित कर रही है। इसमें 41000 करोड़ का निवेश किया जाना है। इसका पहला चरण 2028 तक पूरा होने की उम्मीद लगाई जा रही है। (जागरण फाइल फोटो)
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Fri, 27 Jan 2023 01:28 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Great Nicobar Island Port News केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (The Ministry of Ports, Shipping and Waterways) की ओर से बंगाल की खाड़ी के ग्रेट निकोबार आइलैंड में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह परियोजना के लिए कंपनियों से जल्द बोलियां (EOI) मंगाई जाएंगी।
मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि इस प्रोजेक्ट में पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) आधार पर 41,000 करोड़ रुपये (5 अरब डॉलर) के निवेश की संभावना है। ईओआई शनिवार (28 जनवरी) को शुरू होगी।
खास होगा ये ग्रेट निकोबार आइलैंड पोर्ट
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में प्रस्तावित पोर्ट काफी खास होने वाला है। इस में प्रति वर्ष 16 मिलियन कंटेनरों को संभालने की क्षमता होगी और 18,000 करोड़ रुपये की लागत से 2028 तक चालू होने वाले पहले चरण में 4 मिलियन से अधिक कंटेनरों को संभाला जाएगा। ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के आसपास अन्य प्रोजक्ट्स को भी बनाया जाएगा, जिसमें एयरपोर्ट, टाउनशिप और पावर प्लांट शामिल हैं।दुनिया के व्यस्त व्यापारिक मार्ग के पास होगा ये पोर्ट
ग्रेट निकोबार आईलैंड में बनने वाला प्रस्तावित पोर्ट सिंगापुर, क्लैंग और कोलंबो जैसे मौजूदा ट्रांसशिपमेंट टर्मिनलों के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग पर स्थित है। मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, ये पोर्ट दुनिया के मुख्य व्यापारिक मार्ग से के 40 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थित होगा। वहीं, इसकी प्राकृतिक गहराई 20 मीटर है। सरकार की कोशिश इस प्रोजेक्ट के जरिए बंगाल की खाड़ी में सिंगापुर जैसा एक पोर्ट बनाने की है।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि यह परियोजना भारत को एक आत्मनिर्भर और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित होगी और देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान देगी।