2026 तक 10 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा भारत का डिजिटल भुगतान बाजार, तीन गुना से अधिक की होगी बढ़ोतरी : रिपोर्ट
जैसे-जैसे भारत तकनीकी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है डिजिटल इंडिया की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। डिजिटल रुपये और यूपीआई ने अन्य देशों को इन मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
By AgencyEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Thu, 09 Mar 2023 10:19 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजारों में से एक है। फोनपे और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक हालिया रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत का डिजिटल भुगतान बाजार 2026 तक 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से तीन गुना से अधिक बढ़कर 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
ग्रुप की स्टडी में कहा गया है कि 2015 में केंद्र सरकार ने जमीनी स्तर पर वित्तीय लेनदेन के लिए "फेसलेस, पेपरलेस और कैशलेस" उद्देश्यों के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया। यूपीआई की सफलता ने नए प्रतिमान गढ़े हैं। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भारत की फिनटेक क्रांति की अगुवाई कर रहा है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा 2016 में लॉन्च किया गया था।
दुनिया में यूपीआई की चर्चा
UPI एक रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली है, जो मोबाइल के माध्यम से बैंकों के बीच पीयर-टू-पीयर और पर्सन-टू-पर्सन लेनदेन को तत्काल प्रोसेस करती है। केवल छह वर्षों की अवधि में भारत ने नकद र्थव्यवस्था से खुद को डिजिटल इकोनॉमी में तब्दील कर दिया है। भारत अब रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में दुनिया का नेतृत्व करता है।
जैसे-जैसे यूपीआई की सफलता बढ़ रही है, वैसे-वैसे अन्य देशों में भी इसका आकर्षण बढ़ रहा है। 21 फरवरी, 2023 को, भारत और सिंगापुर ने UPI और PayNow के बीच क्रॉस-बॉर्डर कनेक्टिविटी लॉन्च की, जिससे कम लागत पर तेजी से सीमा पार लेनदेन को आसान बनाता है।
जन-धन, आधार और मोबाइल ने बदली सूरत
जन-धन, आधार और मोबाइल (JAM) से भारत में वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा मिल रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। प्रधानमंत्री जन-धन योजना का उद्देश्य बिना बैंक वाले लोगों को बैंक खाते उपलब्ध कराना है और आधार बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों और लाभार्थियों की पहचान को सत्यापित करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। ये दोनों कार्यक्रम मोबाइल से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। लगभग 99 प्रतिशत भारतीय आबादी के पास अब आधार संख्या है।