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India's Manufacturing Sector: लाखों लोगों का पेट भर रहा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, GDP में 25 फीसद का योगदान

Emergence of Manufacturing Sector in India भारत सरकार को उम्मीद है कि 2025 तक भारत की इकॉनमी का 25 फीसदी तक उत्पादन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आएगा। FY22 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 210 फीसदी बढ़ा है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Tue, 30 May 2023 03:49 PM (IST)
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Manufacturing Sector in India:How India is emerging in the global manufacturing sector
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Indian Manufacturing Sector: भारत के पास 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के सामान का निर्यात करने की क्षमता है। जिससे भारत मेदर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 17 फीसदी और 27.3 मिलियन से ज्यादा वर्कर के साथ, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत सरकार को उम्मीद है कि 2025 तक अर्थव्यवस्था का 25 फीसदी तक का उत्पादन मैन्युफैक्चरिंग से आएगा।

भारत के विनिर्माण उद्योग को कौन से कारक प्रभावित कर रहे हैं?

  • चीन की घटिया उत्पाद गुणवत्ता, व्यापार विवादों और सीमा समस्याओं के परिणामस्वरूप भारत लाभान्वित होने की अच्छी स्थिति में है। इसके अलावा, भारत तेजी से लोकप्रिय हो रही चीन-प्लस-वन रणनीति का लाभ उठाने के लिए अपनी ट्रेड नीति में भी बदलाव कर रहा है। इसमें कंपनियां चीन में निवेश करने से बचती हैं।
  • चीनी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने से भारतीय उत्पादकों के लिए कई अवसर खुले हैं। उम्मीद की जा रही है कि 2030 तक भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर विश्व अर्थव्यवस्था को हर साल 500 बिलियन डॉलर से अधिक बढ़ा सकता है। भारत 2014 में 142 की अपनी रैंकिंग से 2020 में 63 तक पहुंच गया है।
  • कोरोना महामारी ने सर्विस इंडस्ट्री की खामियों को उजागर किया है। इसी के साथ पॉलिसीमेकर्स को यह अहसास हुआ है कि सर्विस इंडस्ट्री पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहा जा सकता है। सरकार ने बिजनेस वेंजर, स्टार्ट-अप्स और उद्यमियों को प्रोत्साहन और प्रचार के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, ताकि मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ाया जाए। इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ बाकी सेक्टर में भी रोजगार का अवसर बढ़ेगा।
  • भारत के पास वैश्विक बाजारों में भाग लेने की भी क्षमता है। इसमें बिजली के विस्तार, दीर्घकालिक रोजगार की संभावनाओं, युवा और शिक्षित आबादी और लाखों लोगों के लिए कौशल मार्ग जैसे कारक शामिल होते हैं। भारत की क्षमता कई चीजों से प्रभावित होती है, जैसे कि कच्चा माल, औद्योगिक जानकारी और उद्यमशीलता आदि। इसके अतिरिक्त भारत के पास चार प्रकार के बाजारों के अवसर भी मौजूद है।
  • भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लगातार ज्यादा ऑटोमेटिव और प्रोसेस-ड्राइवन मैन्युफैक्चरिंग की ओर बढ़ रहा है, जिससे दक्षता में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है।
  • नेशनल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का लक्ष्य 2025 तक देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग हिस्सेदारी को 25 फीसदी तक बढ़ाना है। "मेक इन इंडिया" अभियान और प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव प्रोग्राम को इस साल की शुरुआत में जनवरी के महीने में जारी विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। इसी तरह कई कार्यक्रम हैं, जिनके तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए बिजनेस लाभान्वित हो सकते हैं। 
  • भारत में एक एक्टिव और मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय किसी को भी मुफ्त ऑनलाइन (एमएसएमई) बिजनेस रजिस्ट्रेशन की अनुमति देता है। देश भर में असंख्य माइक्रोऔर स्मॉल इंडस्ट्री उभर रहे हैं।