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सस्ते पेट्रोल डीजल की उम्मीदों को OPEC ने दिया झटका, कच्चे तेल की कीमतें तीन दिनों में 10 फीसद तक बढ़ी

कोरोना महामारी के समय से ही कच्चे तेल की कीमतों को तय करने में ओपेक की भूमिका कमजोर पड़ रही थी। यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के दो सबसे बड़े तेल खरीददार देश भारत और चीन ने रूस से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद शुरु कर दी है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 03 Apr 2023 10:09 PM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मार्च महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट से देश में पेट्रोल व डीजल के भी सस्ता होने की जो उम्मीद बंधी थी उसे करारा झटका लगा है। तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन ओपेक ने अचानक ही एक बड़ा फैसला करते हुए कच्चे तेल के वैश्विक उत्पादन में तकरीबन 11.6 लाख बैरल रोजाना की कटौती करने का फैसला किया है।

कच्चे तेल की कीमत में हुई बढ़ोतरी

इसकी वजह से क्रूड की कीमतों में एक बार फिर तेजी का रुख बन गया है। पिछले माह 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच चुका कच्चा तेल अब फिर से 84-85 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। ओपेक देशों का यह कदम मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले पर भी असर दिखा सकता है।

आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में एमपीसी की बैठक सोमवार को शुरु हुई है और ब्याज दरों के बारे में इनके फैसले की घोषणा गुरुवार (06 अप्रैल, 2023) को होगी।ओपेक के इस फैसले के पीछे वैश्विक कूटनीति में चल रही रस्सा-कस्सी भी जिम्मेदार है।

अमेरिका की कोशिश- क्रूड की कीमतों में बहुत ज्यादा तेजी न हो

कोरोना महामारी के समय से ही कच्चे तेल की कीमतों को तय करने में ओपेक की भूमिका कमजोर पड़ रही थी। यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के दो सबसे बड़े तेल खरीददार देश भारत और चीन ने रूस से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद शुरु कर दी है।

साथ ही अमेरिका व पश्चिमी देशों की कोशिश रही है कि क्रूड की कीमतों में बहुत ज्यादा तेजी नहीं हो। इनकी सोच थी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता रहेगा तो रूस को भी कम कीमत मिलेगी। यही वजह है कि जुलाई, 2022 के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार नरमी का रुख देखा गया है।

ओपेक ने कुल उत्पादन में भारी भरकम कटौती

अंतरराष्ट्रीय बाजार से भारत की खरीद मूल्य को देखें तो जून, 2022 में यह 116.09 डॉलर प्रति बैरल था लेकिन उसके बाद जुलाई में 105.49 डॉलर, अगस्त में 97.4 डॉलर, सितंबर में 90.71, अक्टूबर में 91.7 डॉलर, नवंबर में 87.55, दिसंबर में 78.1, जनवरी, 2023 में 80.92 डॉलर, फरवरी, 2023 में 82.28 डॉलर और मार्च में 78.5 डॉलर प्रति बैरल रहा है। ऐसे में ओपेक ने कुल उत्पादन में भारी भरकम कटौती करके अपनी स्थिति मजबूत करने की योजना बनाई है। उत्पादन में यह कटौती मई, 2023 से लागू होगी और पूरे वर्ष जारी रहेगी।

सरकारी तेल कंपनियों ने कीमतों में नहीं किया बदलाव

बताते चलें कि मोटे तौर पर जब क्रूड की कीमत में एक डॉलर की वृद्धि होती है तो घरेलू बाजार में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 40 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है। वैसे सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में 06 अप्रैल, 2022 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया है।

मई माह में सरकार की तरफ से उत्पाद शुल्क घटाने का फैसला जरूर हुआ था लेकिन उससे खुदरा कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा था। पिछले हफ्ते तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी और एटीएफ की कीमतों में कटौती की थी। इससे दूसरे पेट्रो उत्पादों की खुदरा कीमतों में भी कमी होने की संभावना बनी थी।