रबी बोआई की बढ़ी रफ्तार, रकबा 450 लाख हेक्टेयर के पार; सरकार का जोर खाद्य तेलों में आयात निर्भरता को घटाने पर
मोटे अनाज के नाम से घोषित अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2023 को देखते हुए इसकी खेती का रकबा भी बढ़ा है। रबी सीजन का कुल बोआई रकबा 4.50 करोड़ हेक्टेयर को भी पार कर गया है यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 27 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 02 Dec 2022 09:11 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू सीजन में रबी फसलों की बोआई देर से भले शुरु हुई हो, लेकिन अब रफ्तार तेज हो गई है। गेहूं खेती के सामान्य रकबा के मुकाबले दो तिहाई खेती हो चुकी है। जबकि घरेलू मांग को देखते हुए किसानों का रुझान तिलहनी फसलों की ओर बढ़ा है। मोटे अनाज के नाम से घोषित अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2023 को देखते हुए इसकी खेती का रकबा भी बढ़ा है। रबी सीजन का कुल बोआई रकबा 4.50 करोड़ हेक्टेयर को भी पार कर गया है, यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 27 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
सरकार का पूरा जोर खाद्य तेलों में आयात निर्भरता को घटाने पर है
बीते मानसून सीजन की बारिश के देर तक होने से जहां एक ओर रबी बोआई में विलंब हुआ, वहीं मिट्टी में पर्याप्त नमी का फायदा भी रबी फसलों को मिलना तय है। इससे उत्पादकता में वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। जबकि तिलहनी फसलों के लिए उपयुक्त मौका मिलते ही मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सामान्य से अधिक रकबा में तिलहनी फसलों की खेती करने में मदद मिली है। दरअसल, सरकार का पूरा जोर खाद्य तेलों में आयात निर्भरता को घटाने पर है।
इसी के तहत सस्ते आयात को प्रतिबंधित करने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं, ताकि घरेलू किसानों को तिलहनी फसलों को किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े। पिछले वर्ष 2021-22 में अब तक जहां 75.55 लाख हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की खेती की गई थी, वह इस बार यह 83 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के जारी बोआई आंकड़ों के मुताबिक रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की खेती का रकबा 2.11 करोड़ हेक्टेयर पहुंच चुका है, जो सामान्य रकबा 3.04 हेक्टेयर के मुकाबले दो तिहाई है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में का कुल बोआई रकबा दो करोड़ हेक्टेयर था।
गेहूं की बोआई में राजस्थान, बिहार आगे
गेहूं की बोआई में आगे निकलने वाले राज्यों में राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल हैं। लेकिन हैरान करने वाले बोआई के आंकड़े हरियाणा जैसे राज्य से आ रहा है, जहां बोई 2.89 लाख हेक्टेयर कम दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के जारी बोआई आंकड़ों के मुताबिक दो दिसंबर 2022 तक 32.63 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज वाली फसलों की खेती हो चुकी है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक केवल 29 लाख हेक्टेयर में बोआई हो सकी थी।
दहलनी फसलों की खेती का आंकड़ा भी पिछले साल के 1.08 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले ज्यादा यानी 1.13 करोड़ हेक्टेयर है। रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसल चना की खेता का रकबा 4.1 लाख हेक्टेयर अधिक दर्ज किया गया है। मोटे अनाज वाला अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित होने की वजह से रबी सीजन में इस वर्ग की फसलों की खेती का रकबा बढ़ा है।