एक्शन में RBI सरकार, बेनामी जमा के निपटान के लिए RBI चलाएगा विशेष अभियान
पिछले कुछ हफ्तों से आरबीआई ने अनक्लेम्ड डिपॉजिट को लेकर एक अलग मोर्चा खोल रखा है। लावारिस जमा के खिलाफ रिजर्व बैंक एक के बाद सख्त कदम उठा रहा है। इस क्रम में अब आरबीआई देश भर में 100 दिनों का विशष अभियान चलाएगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: केंद्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इन दिनों अनक्लेम्ड डिपॉजिट को लेकर एक्शन में दिख रही है। आरबीआई अब अनक्लेम्ड डिपॉजिट को लेकर 100 दिनों का एक विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है जिसके तहत बैंक देश के हर जिले में अपनी शीर्ष 100 जमा राशियों का पता लगाएंगे और उसका निपटान करेगा।
विशेष अभियान चलाने के विषय में इससे पहले वित्त मंत्री ने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 7वीं बैठक के दौरान किया था। आरबीआई यह अभियान 1 जून 2023 से शुरू करने जा रही है।
DEA फंड में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे फंड
बचत/चालू खातों में शेष राशि जो 10 वर्षों से परिचालित नहीं है, या परिपक्वता की तारीख से 10 वर्षों के भीतर टर्म डिपॉजिट का दावा नहीं किया गया है, उन्हें "लावारिस जमाराशियों" यानी अनक्लेम्ड डिपॉजिट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
आरबीआई ने कहा कि ऐसे डिपॉजिट को आरबीआई द्वारा संचालित डिपॉजिटर एडुकेशन एंड अवेयरनेस (Depositor Education and Awareness) फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
अनक्लेम्ड डिपॉजिट की मात्रा कम करने का लक्ष्य
आरबीआई अनक्लेम्ड डिपॉजिट को लेकर इतनी सख्त कदमों को इसलिए उठा रहा है, ताकि बैंकों के उपर से अनक्लेम्ड डिपॉजिट की मात्रा कम किया जा सके और उन डिपॉजिट को उनकी सही मालिक तक पहुंचाया जा सके। हाल ही में, आरबीआई ने कई बैंकों में लावारिस जमा राशि की खोज के लिए जनता के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल की स्थापना की भी घोषणा की है।
क्या होता है अनक्लेम्ड डिपॉजिट ?
अनक्लेम्ड डिपॉजिट यानी लावारिस जमा राशि उस राशि को कहते है जो बैंक में पिछले 10 सालों से पड़ा हो। ना तो उस राशि को किसी ने निकाला हो ना ही कुछ उसमें और जमा किया है। ऐसे डिपॉजिट को ही लावारिस डिपॉजिट कहते हैं।
ये डिपॉजिट तब बढ़ जाते हैं जब कोई व्यक्ति अपना करेंट और सेविंग्स अकाउंट को बंद करने में विफल हो जाता है या फिर मैच्यौर एफडी को रिडीम की अपनी इच्छा के बारे में बैंकों को सूचित करने में विफल रहे हैं।