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Adani Group: नुकसान के बावजूद बढ़ा अदाणी समूह का m-Cap, 10 में से 7 कंपनियों के शेयरों में दर्ज की गई गिरावट

अदाणी ग्रुप के निवेशकों को आज ग्रुप से ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ। ग्रुप की 10 में से 7 कंपनियां आज लाल निशान पर बंद हुई। फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज आज सबसे ज्यादा लगभग 6 प्रतिशत गिरा। इसके अलावा अदाणी ट्रांसमिशन में 5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 24 May 2023 07:11 PM (IST)
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Seven of ten Adani Group stocks end lower after 3 days of rally
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: शेयर बाजार में आज अदाणी ग्रुप के निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा। समूह के दस में से सात शेयरों में आज गिरावट देखने को मिली। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज पिछले तीन दिनों की तेजी के बाद आज लगभग 6 प्रतिशत गिरा।

अदाणी एंटरप्राइजेज में भारी गिरावट

आज शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। बीएसई पर अदाणी एंटरप्राइजेज लगभग 5.90 फीसदी गिरे हैं। आपको बता दें कि कंपनी के शेयर पिछले तीन दिनों में 39.41 फीसदी उछला था।

अदाणी विल्मर के शेयरों में 4.99 फीसदी, एसीसी में 2.15 फीसदी, अदाणी पोर्ट्स में 2.13 फीसदी, अदाणी पावर में 1.63 फीसदी, अंबुजा सीमेंट्स (1.25 फीसदी) और अदाणी ग्रीन एनर्जी (0.52 फीसदी) की गिरावट आई।

इन कंपनियों के शेयर में उछाल

आज ग्रुप की तीन कंपनियां अदाणी ट्रांसमिशन में 5 फीसदी और अदाणी टोटल गैस में 5 फीसदी और एनडीटीवी में 4.98 फीसदी की तेजी देखने को मिली। तीनों फर्मों ने अपनी ऊपरी सर्किट सीमा को पार कर लिया। आपको बता दें की आज को छोड़कर पिछले शुक्रवार से अदाणी ग्रुप के स्टॉक में तेजी देखने को मिल रही थी।

अदाणी ग्रुप का बढ़ा m-Cap

पिछले तीन दिनों में, समूह की सभी फर्मों का संयुक्त मार्केट वैल्यूएशन 1,77,927.29 करोड़ रुपये बढ़ गया था।

वहीं आज शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स 208 अंक टूटकर 61,773 पर बंद हुआ तो वहीं निफ्टी 50, 62 अंक गिरकर 18,285 पर बंद हुआ।

सुप्रीम कोर्ट की पैनल ने दिया अदाणी को क्लीन चिट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त छह सदस्यीय पैनल ने कहा कि यूएस-आधारित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अदाणी समूह के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन बनाने का सबूत था, जिसमें धोखाधड़ी, स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया था।

पैनल ने रिपोर्ट में कहा कि यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं था कि कीमतों में हेराफेरी के संबंध में विनियामक विफलताएं थीं या नहीं।