वैश्विक होने की राह पर भारतीय रुपया, रूस के बाद 35 देशों ने इंडियन करेंसी में व्यापार के लिए दिखाई रुचि
आरबीआई ने जुलाई 2022 में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए विदेशी व्यापार का लेन-देन रुपये में करने का प्रस्ताव किया था। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए डॉलर और अन्य बड़ी मुद्राओं के बजाय इंडियन करेंसी का उपयोग किया जाएगा।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Wed, 04 Jan 2023 03:47 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत द्वारा रुपये में अंतररष्ट्रीय व्यापार के सेटेलमेंट की नीति का प्रभाव धीरे-धीरे गहरा होता जा रहा है। रूस के भारतीय रुपये में विदेशी व्यापार शुरू करने वाला पहला देश बनने के कुछ दिनों बाद अब लगभग 35 देशों ने रुपये में व्यापार करने में रुचि दिखाई है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जुलाई 2022 में विदेशों से ब्याज आकर्षित करने और डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए रुपये में व्यापार निपटान तंत्र का प्रस्ताव किया गया था। बता दें कि शुरुआती चरण में रूस के बाद श्रीलंका ने भी भारतीय रुपये में व्यापार करने में रुचि व्यक्त की थी।
इन देशों ने दिखाई रुचि
रुपये में व्यापार करने के इच्छुक देशों में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे पड़ोसी देश शामिल हैं। ये देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्ज़मबर्ग और सूडान भी रुपये में ट्रेड सेटलमेंट करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में एक आधिकारिक दस्तावेज के हवाले से बताया गया है कि इन चार देशों ने रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते में रुचि दिखाई है। ये देश भारत में ऐसे खाते संचालित करने वाले बैंकों के संपर्क में हैं।
आपको बता दें कि मॉरीशस और श्रीलंका जैसे देशों के लिए विशेष वोस्ट्रो खातों को आरबीआई द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है।
रुपये में व्यापार समझौता भारत के लिए कितना फायदेमंद
रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मान्यता मिलने से भारत को कई मोर्चों पर लाभ होने की उम्मीद है। अगर यह सफल रहा तो कच्चे तेल सहित आयात की जाने वाली अधिकांश चीजों का भुगतान रुपये के माध्यम से ही किया जाएगा। अभी भारत इसके लिए हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है। इसके अलावा कई विदेशी लेनदेन का भुगतान डॉलर में किया जाता है। अभी भारत डॉलर की जरूरत को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपया बेचता है। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। INR पूरी तरह से परिवर्तनीय नहीं है और इसलिए खरीदार मिलना अक्सर मुश्किल होता है। दूसरी ओर भारतीय रुपये की तुलना में USD की मांग अधिक है। इसकी आपूर्ति फेड द्वारा नियंत्रित की जाती है।
रुपये में व्यापार बढ़ने के साथ ही आरबीआई को बदले में आईएनआर के लिए खरीदार खोजने की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम भारतीय रुपये की मांग को बढ़ाएगा। अंतररष्ट्रीय बैंकों को रूपांतरण शुल्क नहीं भेजने से जो राशि जमा होगी, वह अंततः देश के विकास में काम आएगी।