क्या होती हैं शेल कंपनियां और क्यों बनाई जाती हैं, जानिए
शेल कंपनी वे संदिग्ध कंपनियां होती हैं जो आमतौर पर लॉन्ड्रिंग के लिए अवैध फंड का इस्तेमाल करती हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। बाजार नियामक सेबी ने शेल कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए सोमवार को 331 कंपनियों की सूची जारी कर दी है। इनमें लिस्टेड कंपनियां भी हैं। काले धन पर रोकथाम लगाने के उदेश्य से सेबी ने कहा है कि इन कंपनियों में इस महीने ट्रेडिंग नहीं की जाएगी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने हाल ही में जानकारी दी है कि इनमें से सिर्फ 48 कंपनियां ही लिस्टेड हैं।
क्या होती है शेल कंपनियां: शेल कंपनियां कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं। इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। इन कंपनियों के संचालन की बात की जाए तो इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता, इनमें केवल कागजों पर एंट्रीज दर्ज की जाती हैं। हालांकि, कंपनीज एक्ट में शेल कंपनी शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
कैसे होता है रजिस्ट्रेशन: शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन सामान्य कंपनियों के तरह होता है। सामान्य कंपनियों की तरह इनमें भी डायरेक्टर्स होते हैं। इनमें मालिक के नाम गुप्त रखे जाते हैं। साथ ही ये कंपनियां रिटर्न भी फाइल करती हैं। इन कंपनियों का मालिक कोई भी हो, लेकिन ये दूसरों के काम आती हैं। इन कंपनियों में किसी तरह का कोई काम नहीं होता, सिर्फ कागजों पर एंट्रीज दर्ज की जाती हैं।
क्या करती हैं ये कंपनियां: आमतौर पर ये कंपनियां एक मीडियम के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट करने का काम करती हैं। इनका इस्तेमाल ब्लैकमनी को कम से कम खर्च में वाइट बनाने में किया जाता है। इन कंपनियों में टैक्स को पूरी तरह से बचाने या कम से कम रखने की व्यवस्था होती है। इसमें पूरे पैसे को एक्सपेंस के तौर पर दिखाया जाता है, जिससे टैक्स भी नहीं लगता है।
ये कंपनियां न्यूनतम पेड अप कैपिटल के साथ काम करती है और इनका डिविडेंड इनकम जीरो होता है। साथ ही टर्नओवर और ऑपरेटिंग इनकम भी बहुत कम होती है।