बैंक लॉकर को लेकर क्या कहते हैं आरबीआई के नियम, पढ़ें यहां
बैंक लॉकर लेने से पहले आरबीआई के इन नियमों के बारे में जानना जरूरी है।
By Pramod Kumar Edited By: Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:21 AM (IST)
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बहुत से लोग अपने कीमती सामान को रखने के लिए बैंको के लॉकर का सहारा लेते हैं। इन लॉकर में लोग अपने गहने, जरूरी दस्तावेज, वसीयत आदि चीजें रखते हैं। कई बैंक लॉकर देने से पहले ग्राहकों के सामने अलग-अलग मांगें रखते हैं। इसलिए यह जान लेना बहुत जरूरी है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के नियम इस बारे में क्या कहते हैं।
कौन ले सकता है लॉकरकोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक में लॉकर ले सकता है। किसी बैंक में लॉकर लेने के लिए जरूरी नहीं है कि उस बैंक में आपका अकाउंट हो। कई बार बैंक लॉकर के किराए के लिए उस बैंक में खाता खोलने की बात करते हैं। साथ ही कई बैंक बड़ी रकम के लिए एफडी करवाने के लिए दबाव बनाते हैं। इसलिए जिस बैंक में आपका आपका अकाउंट हो उसी में लॉकर खुलावाना सही रहता है।
एफडी के लिए क्यों कहते हैं बैंककई ग्राहक लॉकर का किराया नहीं देते हैं और ना ही उसे ऑपरेट करते हैं। इसलिए बैंक लॉकर का किराया लेने के लिए ग्राहकों से एफडी खुलवाने को कहते हैं। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक नए ग्राहक को लॉकर के 3 साल के किराए और किसी कारणवश लॉकर तुड़वाने पर चार्ज वहन करने के अमाउंट जितनी एफडी खुलवाने को कह सकते हैं। हालांकि, मौजूदा लॉकर धारकों के लिए ऐसा नियम नहीं है।
सालाना किराया और दूसरे चार्जहर बैंक में लॉकर के लिए अलग-अलग सालाना किराया तय है। अगर किसी कारण से लॉकर तोड़ना पड़े तो ग्राहक को उसका चार्ज देना होता है। इसके अलावा लॉकर की चाबी खोने पर भी चार्ज देना होता है।
वेटिंग लिस्टहर बैंक में लॉकर की संख्या सीमित होती है। ज्यादा मांग के चलते हमेशा बैंकों में वेटिंग पीरियड रहता है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, लॉकर के लिए वेटिंग लिस्ट बनाने और लॉकर देते वक्त पारदर्शिता बनाए रखने का प्रावधान है। साथ ही बैंकों के लिए ग्राहकों को लॉकर के ऑपरेशन्स को लेकर हुए एग्रीमेंट की कॉपी देना जरूरी है।
लॉकर के सामान के लिए बैंक जिम्मेदार नहींबैंक लॉकर्स में रखे सामान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। हालांकि, बैंकों को लॉकर्स की सुरक्षा के लिए इंतजाम करने होते हैं। बता दें कि लॉकर्स में रखे सामान का इंश्योरेंस नहीं होता। भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमला या चोरी आदि होने पर मुआवजा मिलेगा, इसकी भी गांरटी नहीं होती। हालांकि अगर बैंक की लापरवाही के चलते कस्टमर का नुकसान हुआ है तो बैंकों को मुआवजा देना होगा।
तय सीमा के बाद ग्राहक को देना होगा चार्जबैंक लॉकर की दो चाबी होती है। इनमें से एक ग्राहक और दूसरी बैंक के पास होती है। इन दोनों चाबियों के लगाने के बाद ही लॉकर खुलता है। हर बैंक में लॉकर ऑपरेट करने की सीमा निश्चित है। तय सीमा के बाद लॉकर ऑपरेट करने के लिए ग्राहकों को चार्ज देना होता है।
ऑपेरशनल ना होने पर बंद हो सकता है लॉकरआरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक लॉकर धारकों को मीडियम रिस्क और हायर रिस्क कैटेगरी में बांट सकते हैं। ऐसे में अगर मीडियम रिस्क कैटेगरी वाले कस्टमर ने तीन साल से ज्यादा वक्त से और हायर रिस्क कैटेगरी वाले ने 1 साल से ज्यादा वक्त से लॉकर ऑपरेट नहीं किया है तो बैंक उन्हें लॉकर ऑपरेट करने या इसे वापस बैंक को सौंपने के लिए कह सकते हैं। अगर कस्टमर टाइम पर लॉकर का किराया दे रहा है तो भी बैंक यह कदम उठा सकते हैं।
नॉमिनी के पास है लॉकर एक्सेस का अधिकारनियमों के मुताबिक, अगर लॉकर धारक अपने लॉकर के लिए नॉमिनी नियुक्त करता है तो बैंक को लॉकर धारक की मौत के बाद उस नॉमिनी को लॉकर एक्सेस करने और उसका सामान निकालने का अधिकार देना होगा। अगर लॉकर ज्वॉइंट में खोला गया है और खुलवाने वाले में से किसी एक ने या दोनों ने नॉमिनी नियुक्त किया है तो लॉकर धारकों में से किसी एक की मौत होने पर नॉमिनी दूसरे लॉकर धारक के साथ लॉकर एक्सेस करने का हक रखता है। हालांकि, बैंक इसके लिए अपनी तरफ से पूरी जांच-पड़ताल कर सकते हैं।